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होली के पारंपरिक व्यंजन जिनके बिना होली का त्योहार लगे फीका

रंगों का त्यौहार होली बस आने ही वाला है। जैसे-जैसे त्योहार नजदीक आ रहा है, लोग इसे लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित हो रहे हैं। लोग अभी से तैयारियां करने में जुट गए हैं। ये त्योहार अपने परिवार और दोस्तों के साथ एन्जॉय करने वाला होता है। होली का त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का संकेत है। इस पर सभी लोग पुराने लड़ाई-झगड़े भूलकर सबको गले लगा लेते हैं।

एक तरफ जहां होली मस्ती व रंगों का त्यौहार है। होली पर जहां लोग दिल खोलकर रंग खेलते हैं, वहीं घर पर तरह-तरह के पकवान भी होली के त्योहार को बहुत खास बना देते हैं। होली के त्योहार में पारंपरिक व्यंजनों का जिक्र करना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं कुछ लोकप्रिय पकवानों की बारे, जो होली को और खास बनाते हैं। इन पकवानों के बगैर होली कुछ अधूरी सी लगती है।

गुझिया

होली का त्योहार हो और गुझिया का जिक्र ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। गुझिया एक पारंपरिक मिठाइयों में से एक है। मैदे के खाल में मावे को भरकर फिर उसे घी में तलकर बनाई जाती है। गुझिया बनाना एक कला है और इसको बनाने के लिए बहुत धैर्य की जरूरत होती है।

इमरती

होली के खास मौके पर ज़्यादातर सभी लोग घर पर ही मिठाई बनाना पसंद करते हैं। कई लोग के घरों पर होली पर इमरती बनती है। यह एक गोलाकार मिठाई है। इमरती को ठंडा गर्म किसी भी तरह सर्व किया जा सकता है। इसका स्वाद और बनाने का तरीका जलेबी के जैसा ही है। आप भी इस स्वादिष्ट मिठाई को एक घंटे के अंदर घर पर बना सकते हैं। उड़द दाल से बैटर तैयार करके गोलाकार में इसे तैयार किया जाता है और फिर ​डीप फ्राई किया जाता है। इसके बाद इसे चाशनी में भिंगोया जाता है।

कांजी के बड़े

कांजी के बड़े उत्तर भारत में होली के अवसर पर बनने वाला लोकप्रिय व्यंजन है। फाल्गुन में रंगों की बहार के साथ यह चटपटे कांजी बड़े बहुत स्वादिष्ट लगते हैं। राई को चढ़ने में थोड़ा समय लगता है तो बेहतर होगा कि आप मूंग दाल के बड़े कांजी में होली के 3-4 दिन पहले ही बनाकर रख लें। जिससे उसका स्वाद और चटपटा लगेगा।

ठंडाई

ठंडाई भी उत्तर भारत का एक बहुत लोकप्रिय पेय है। ठंडाई के बगैर होली का त्याहार फीका सा लगता है। इसे कई प्रकार के मसालों, गुलाब की पत्तियों और बादाम को पीसकर दूध में डालकर होली के अवसर पर बनाते हैं। आप ठंडाई के मिश्रण में केसर और खरबूजे के बीज भी मिला सकते हैं।

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