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Glossophobia : अगर आप सार्वजनिक स्थान पर बोलने से डरते हैं, तो हो सकता है ग्लोसोफ़ोबिया

Glossophobia : ग्लोसोफ़ोबिया एक प्रकार का भाषण चिंता विकार है। ग्लोसोफ़ोबिया से ग्रस्त लोगों को सार्वजनिक रूप से डर लगता है। ग्लोसोफ़ोबिया ग्रीक भाषा के दो शब्दों जिनका अर्थ है जीभ और भय से मिल कर बना है। ग्लोसोफ़ोबिया से ग्रस्त लोग न केवल सार्वजनिक स्थान पर बोलने से बचते है बल्कि अपने आस – पास के लोगों से बात करनें में भी डरते हैं। इनके लिए हाथ मिलाना भी बड़े संघर्ष का काम बन जाता है।

किसी भी व्यक्ति में ग्लोसोफ़ोबिया तब पैदा होता है, जब जनता के द्वारा उनके साथ अन्याय किया जाता है। मंच पर कुछ भी प्रदर्शन के दौरान या कक्षा में प्रस्तुती देते वक्त जव उन्हें लोगों से अप्रिय अनुभव होता है। आंकड़ों के मुताबिक 75% लोग इस डर से प्रभावित पाए जाते हैं। यह लोग सार्वजनिक रूप से बोलने के लिए सोच कर ही घबराने और चिंता करने लगते हैं। ऐसे में यह लोग पैनिक अटैक का भी शिकार हो जाते हैं। ग्लोसोफ़ोबिया के मामले में विज्ञान अभी भी स्पष्ट नहीं है कि इसके पूछे क्या वजह है।

अभ्यास करने से ठीक हो सकता है ग्लोसोफ़ोबिया

अगर आपको भी ग्लोसोफ़ोबिया है तो इस से बचने के लिए आप खुद से प्रयास कर सकते हैं। जैसे कि, अपना परिचय देने पर ध्यान केंद्रित करें, यह वह स्थिति है जब व्यक्ति सबसे ज्यादा डरा हुआ होता है। अपनी बॉडी लैंग्वेज को बहतर समझने के लिए आप आईने के सामने खड़े होकर बोलने की कोशिश करें। जिन बैठकों से आप बच नहीं सकते उनके लिए पहले से तैयारी कर के रखें। आपके द्वारा बोले जाने वाली सामाग्री का जितनी बार हो सके अभ्यास करें। जब आप खुद को लेकर आश्र्वस्त होगें त आपका डर कम हो जाएगा।

ग्लोसोफ़ोबिया के लक्षण भय या चिंता

मांसपेशी का खिंचाव
पसीना आना
मुँह का शुष्क पड़ जाना
ब्लड प्रेशर बड़ना
धड़रन का तेज हो जाना
हाफना
सिर चकराना

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