
अमेरिकी धरती पर एस जयशंकर ने कनाडा को सख्त संदेश देते हुए कहा कि अभिव्यक्ति का आजादी का पाठ उन्हें किसी दूसरे देश से सीखने की जरूरत नहीं है। उनका इशारा कनाडा की ओर था जो बगैर सबूत खालिस्तानी निज्जर की हत्या में भारतीय अधिकारियों के हाथ की बात करता रहा है और लंबे समय से अलगाववाद को अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़ता रहा है।
“जयशंकर ने साफ और सख्त संदेश कनाडा तक पहुंचाया’
बता दें कि एस जयशंकर ने साफ और सख्त संदेश कनाडा तक पहुंचाया। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि “मैंने अमेरिका और कनाडा के सामने एक समान बात रखी। बताया हम लोकतांत्रिक देश हैं और किसी दूसरे से हमें अभिव्यक्ति की आजादी पर ज्ञान लेने की जरूरत नहीं है। लेकिन हां हम लोगों से ये जरूर कहना चाहते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब हिंसा को शय देना नहीं।”जयशंकर ने अपनी बात को और स्पष्ट किया और पूछा कि दूसरे देश हमारी जगह होते तो क्या करते वो भी तब। जब हमारे राजनयिक, दूतावासों और नागरिकों को धमकी मिल रही हो। उन्होंने कहा- आपकी प्रतिक्रिया कैसी होती जब आप हमारी जगह होते’ अगर ये आपका उच्चायुक्त होता, आपके राजनयिक होते या फिर आपके लोग होते, आप भी बताएं क्या करते आप।’ उन्होंने ये भी कहा कि कनाडा में सब कुछ सामान्य नहीं है।
“कनाडा से सबूतों की मांग की है जिसका हमें इंतजार”
इसके साथ ही विदेश मंत्री ने भारत अमेरिकी रिश्तों पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा- हमने कई मु्द्दों पर बात की है। इससे पहले विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कनाडा पहले निजी तौर पर और फिर सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाता है। उनके आरोप निराधार हैं। हमने कनाडा से सबूतों की मांग की है जिसका हमें इंतजार है।
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