‘हमने एक-एक कर गोलियां चलाईं, करीब डेढ़ घंटे तक…’, जिंदा बचे पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी ने सुनाई ट्रैन हाईजैक की कहानी

Jaffar Express Hijack
Jaffar Express Hijack : बुधवार को देर रात पाकिस्तानी सेना ने जाफरा एक्सप्रेस में मौजूद 33 बलूच विद्रोहियों को मार गिराया। साथ ही ट्रेन को भी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) से मुक्त करवा लिया। हालांकि इसमें 21 बंधकों की भी जान गई है। बता दें कि पाकिस्तान में क्वेटा से पेशावर जा रही जाफरा एक्सप्रेस को मंगलवार शाम BLA के लड़ाकों ने हाईजैक कर लिया था। जिसके बाद पाकिस्तान आर्मी द्वारा ऑपरेशन शुरू किया गया था। गौरतलब हो कि जब ट्रेन को हाईजैक किया गया था तब इसमे 440 यात्री थे, जिसमें बड़ी संख्या में पुलिसवाले भी मौजूद थे। अब इन यात्रियों और पुलिसवालों के जरिए वह खौफनाक मंजर सभी के सामने आ रहा है। इसी क्रम में एक पुलिस अधिकारी ने पूरा आंखों देखा हाल सुनाया है।
पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर मीडिया के साथ बातचीत में बताया कि कैसे विद्रोहियों ने ट्रेन पर हमला बोला और ट्रेन में मौजूद पुलिसकर्मियों ने आखिरी गोली तक उनसे टक्कर ली।
वे चारों तरफ थे, हम सिर्फ 75
पुलिस अधिकारी ने बताया, रेलवे ट्रैक पर अचानक धमाका होने से ट्रेन रुक गई। कुछ ही पलों में आसपास की पहाड़ियों से लड़ाके निकले और ताबड़तोड़ गोलियां और रॉकेट छोड़ने लगे। वे लोग चारों तरफ थे और सैकड़ों की तादाद में थे। हम तो महज 75 के आसपास पुलिसकर्मी थे। हमारे साथ फ्रंटियर कॉर्प्स के दो जवान भी थे।
हमने एक-एक कर गोलियां चलाईं
अधिकारी ने बताया कि जब हमने देखा कि वे लोग ट्रेन की तरफ बढ़ रहे हैं तो हम सभी ने तय किया कि हम जब तक हो सके इनको रोकेंगे। गोलियां सीमित थी, इसलिए योजना बनाई कि इनका इस्तेमाल सही तरह से करेंगे। हमने एक-एक कर गोलियां चलाईं। करीब डेढ़ घंटे तक हमने उन्हें ट्रेन से दूर रखा। जब गोलियां खत्म हो गई तब उन्होंने ट्रेन पर कब्जा कर लिया।
अधिकारी ने आगे बताया, BLA के लड़ाकों ने ट्रेन पर कब्जा करने के बाद सबसे पहले हम पुलिसवालों को बांधा। फिर यात्रियों को ट्रेन से उतारने लगे। वह सभी का पहचान पत्र देख रहे थे। वह अपनी योजना के मुताबिक काम कर रहे थे। इसके बाद उन्होंने धमकी दी कि अगर पाकिस्तान की सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वो यात्रियों को मार डालेंगे और ट्रेन को जला देंगे।
मौका देखकर हम भाग निकले
पुलिस अधिकारी ने यह भी बताया कि कैसे वह विद्रोहियों के चुंगल से आजाद होने में कामयाब रहे। उन्होंने कहा, ट्रेन पर कब्जा जमाने के बाद ज्यादातर हमलावर वहां से चले गए थे। बस 20-25 लड़ाके रूके। रात में कुछ बंधकों ने भागने की कोशिश की तो विद्रोहियों ने उन्हें गोलियों से भून दिया। अगले दिन सुबह जब फ्रंटियर कॉर्प्स घटनास्थल पर पहुंची और विद्रोही उनसे टक्कर लेने लगे तो इधर हमें भागने का मौका मिल गया।
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