
टाटा ग्रुप कंपनी से तो आज हम सब वाकिफ हैं। इस कंपनी ने देश के लिए कई दान-धर्म के काम किए हैं। एक वक्त ऐसा भी था,जब यह कंपनी डूबने के कगार पर थी। उस समय जो महिला सबसे आगे निकल कर आई थीं, वह महिला थीं मेहरबाई टाटा उनकी बदौलत टाटा स्टील कंपनी को आज अपनी अलग पहचान मिली है। उन्होंने अपनी सबसे बेशकीमती चीज को गिरवी रख कंपनी को आर्थिक तंगी से बचाया था।
लेडी मेहरबाई टाटा जमशेदजी टाटा के बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा की पत्नी थीं। उस दौर में ही उनकी सोच बहुत आगे बढ़कर थी। उन्होंने बाल विवाह, महिला मताधिकार, लड़कियों की शिक्षा से लेकर पर्दा प्रथा तक को हटाने में भी अपनी आवाज बुलंद की थी।
उन्हें खेल में भी बहुत रुची थी। शुरू से उन्हें टेनिस, घुडसवारी और पियानो बजाने का शौक था। उन्होंने टेनिस टूर्नामेंट में 60 से अधिक पुरस्कार अपने नाम किए थे। इसके अलावा ओलम्पिक में टेनिस खेलने वाली भी वो पहली भारतीय महिला थीं। खास बात यह है कि वो सारे टेनिस मैच पारसी साड़ी पहनकर खेलती थीं।