
ओडिशा के बालासोर जिले में हुए भीषण हादसे में मरने वालों का आंकड़ा 288 पहुंच गया है। तो वहीं 50 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने भी दुर्घटना स्थल का दौरा किया था। आज केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया कटक पहुंचकर घायलों के हाल जानेंगे। रेस्क्यू ऑपरेशन भी आखिरी चरण में है। हालांकि अब भी उलटे पड़े कोचों से शव बरामद किए जाने की आशंका है। आपको बता दें कि अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हादसे का कवच से कोई लेना देना नहीं है। जो ममता बनर्जी ने कल कहा था वह भी हादसे की वजह नहीं है। हादसा इलेक्ट्रिक इंटरलॉकिंग में बदलाव की वजह से हुआ है। उन्होंने कहा, हमें हादसे का कारण पता चल गया है और यह भी पता चल गया है कि जिम्मेदार कौन है।
फिलहाल हम रीस्टोरेशन पर फोकस कर रहे हैं। आगे कहा कि पीएम मोदी के निर्देशों के हिसाब से काम चल रहा है। हम आज ट्रेक रीस्टोर करने की कोशिश करेंगे। सभी शवों को निकाल लिया गया है। कोशिश होगी की आज इस पर ट्रेनें चल जाएं। रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि उन दो कोचों को काटकर खोलना बेहद मुश्किल है। इसमें दर्जनों शव होने की आशंका है। कुछ हमारे जवान किसी तरह से बोगी को काटकर अंदर दाखिल हुए हैं। उन्होंने बताया के इसमें किसी के जीवित होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक दोनों कोचों को क्रेन से उठाया नहीं जाता तब तक यह कहना मुश्किल होगा कि सारे लोगों को निकाल लिया गया है। दिक्कत यह भी है कि क्रेन इनके बहुत पास नहीं जा सकती है क्योंकि कोच उलटकर क्रेन पर भी गिर सकते हैं।
अभी यही तरीका है कि बोगी को काटकर अंदर जाया जाए। इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रे हादसे में मरने वालों का आंकड़ा अभी तेजी से बढ़ सकता है। बेंगलुरू हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के दो कोच बुरी तरह तहस-नहस हो गए है। इनमें अब रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया है। आपको बता दें कि हादसे में मरने वालों के शव पास के एक स्कूल में रखे गए हैं। क्लासरूम और स्कूल के हॉल में शवों का ढेर है। उनकी शिनाख्त के लिए लोगों की लंबी कतार है। कई शव टुकड़ों में हैं। तो कुछ बिजली के झटकों के कारण बुरी तरह जले हुए हैं। ऐसे में इनकी पहचान कर पाना बड़ी चुनौती है। शवों की पहचान के लिए जमा हुए रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल है।