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ममता बनर्जी के बांग्लादेशी घुसपैठ वाले बयान पर BSF ने किया पलटवार, कहा- सीमा की सुरक्षा करना हमारा प्रमुख कर्तव्य

Murshidabad violence : पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ संशोधन कानून को लेकर भड़की हिंसा के बाद अब भी तनावपूर्ण हालात बने हुए हैं। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए केंद्रीय बलों की कई टुकड़ियां स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर गश्त कर रही हैं। इसी बीच राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के बीच घुसपैठ के मुद्दे पर टकराव गहराता जा रहा है।

क्या है विवाद की जड़?

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में आरोप लगाया था कि बीएसएफ बांग्लादेशी घुसपैठियों को सीमा पार करने में सहूलियत देती है। इसी के साथ TMC नेता कुणाल घोष ने दावा किया कि मुर्शिदाबाद हिंसा के पीछे बीएसएफ की एक यूनिट की भूमिका भी संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि कुछ उपद्रवी बीएसएफ की मदद से सीमा में सेंध लगाकर भारत में घुसे और उपद्रव के बाद सुरक्षित बाहर निकलने का रास्ता भी उन्हें दिया गया।

BSF का पलटवार

बीएसएफ ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका प्रमुख कर्तव्य भारत-बांग्लादेश सीमा की सुरक्षा करना है, और वे लगातार अवैध घुसपैठियों को रोकने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं। बीएसएफ के मुताबिक, वे न केवल भारत आने वालों को रोकते हैं, बल्कि जो अवैध रूप से बांग्लादेश लौटने की कोशिश करते हैं, उन्हें भी रोका जाता है और स्थानीय पुलिस को सौंपा जाता है।

बीएसएफ ने जारी किए आंकड़े

बीएसएफ द्वारा जारी किए गए डेटा के अनुसार:

  • 2023 में 5,492 लोगों को सीमा पार करने से रोका गया
  • 2024 में यह आंकड़ा 5,130 था
  • 2025 (31 मार्च तक) अब तक 1,127 घुसपैठियों को पकड़ा गया है

बता दें कि पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश की 2,216 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसमें कई हिस्से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं।

शुभेंदु अधिकारी का बड़ा बयान

बीजेपी नेता और पश्चिम बंगाल में नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने बीएसएफ को फेंसिंग के लिए आवश्यक जमीन ही नहीं दी। उन्होंने कहा, “करीब 540 किलोमीटर सीमा क्षेत्र आज भी बिना बाड़ के है, जिससे घुसपैठ को बढ़ावा मिल रहा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि PFI और सिमी जैसे कट्टरपंथी संगठन TMC के साथ खड़े हैं। हिंदू समुदाय को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यह राष्ट्रविरोधी नीति है और हम चाहते हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।”

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