
उत्तराखंड के जसपुर में मोहर्रम पर्व को लेकर पूरे नगर क्षेत्र में आज (29 जुलाई) ताजिए निकाले गए। बता दें कि मोहर्रम की 10वीं तारीख को हुसैन की याद में ताजिए निकालें जाते हैं।
वहीं नगर में मोहर्रम के ताजिए मोहल्ला तकिये वाली मस्जिद से जामा मस्जिद होते हुए मेन बाजार पहुंचे, जहां पर मेहंदी का मिलाप किया गया। इसके उपरांत ताजिए कर्बला मैदान में एकत्र हुए। साथ ही सक्को वाली मस्जिद पर कर्बला की झांकी लगाई गई। जिसको देखने नगर व क्षेत्र के लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
मुहर्रम का इतिहास
इस दिन को इस्लामिक कल्चर में मातम का दिन भी कहा जाता है और इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग ताजिए निकालते हैं। मुहर्रम के महीने को गम का महीना कहा जाता है। हालांकि मुस्लिम समुदाय के शिया और सुन्नी समुदाय के लोग अलग-अलग तरीके से मुहर्रम मनाते हैं।
जानकारी के मुताबिक मोहर्रम की नौवीं और दसवीं तारीख को ताजिए निकाले जाते हैं। इस अवसर पर लोग हुसैन की याद में जगह-जगह शरबत बाटतें हैं। मान्यता है कि इस दिन जगह-जगह हलीम का पकवान बनाकर वितरण किया जाता है, साथ ही लोग इस माह में जो भी दुआ मांगते हैं, अल्लाह उनकी दुआओं को क़ुबूल करते हैं। मोहर्रम की नवीं और दसवीं तारीख को मुस्लिम समुदाय के लोग रोज़ा भी रखते हैं।
रिपोर्टर: समीर परवेज़
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