Delhi NCR

एक साल इंतजार और हाईकोर्ट की फटकार के बाद केंद्र ने अरविंद केजरीवाल को आवंटित किया घर

फटाफट पढ़ें

  • केजरीवाल को लोधी एस्टेट में घर मिला
  • एक साल बाद हाईकोर्ट में याचिका दी
  • केंद्र को कोर्ट ने फटकार लगाई
  • 95 नंबर घर राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए
  • इसे केजरीवाल की जीत माना गया

Arvind Kejriwal : एक साल के इंतजार और हाईकोर्ट की फटकार के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नया सरकारी घर आवंटित कर दिया है. केजरीवाल को दिल्ली के प्रतिष्ठित लोधी एस्टेट इलाके में 95 नंबर सरकारी घर दिया गया है. यह घर उन्हें बतौर राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर सौंपा गया है.

मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद अरविंद केजरीवाल को करीब एक साल तक सरकारी घर नहीं मिला. कई बार आवेदन और पत्राचार के बावजूद आवंटन न होने पर उन्होंने न्याय की राह पकड़ी और दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की. मार्च 2025 में केजरीवाल ने अदालत में कहा था कि बतौर राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख उन्हें सरकारी घर का अधिकार है, लेकिन केंद्र सरकार जानबूझकर इसमें देरी कर रही है. केंद्र की ओर से जवाब में कहा गया कि उपयुक्त घर की तलाश जारी है.

केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई

इसके बाद मामले की सुनवाई कई बार टली. अप्रैल, जून और अगस्त 2025 की सुनवाई में भी कोई ठोस निर्णय नहीं आया. आखिरकार सितंबर 2025 में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई और कहा कि एक साल बीत जाने के बाद भी एक निर्वाचित राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख को घर न देना प्रशासनिक असंवेदनशीलता का उदाहरण है.

लोधी एस्टेट में सरकारी घर आवंटित

अदालत ने केंद्र सरकार को 10 दिन की सख्त समयसीमा दी और स्पष्ट किया कि इस अवधि में केजरीवाल को उपयुक्त सरकारी घर आवंटित किया जाए. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि आदेश का पालन किया जाएगा. अब उस वादे को पूरा करते हुए केंद्र सरकार ने लोधी एस्टेट स्थित 95 नंबर घर अरविंद केजरीवाल को आवंटित कर दिया है. लोधी एस्टेट दिल्ली का वीवीआईपी इलाका है, जहां कई केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज और वरिष्ठ नौकरशाह रहते हैं. अरविंद केजरीवाल का यह नया घर अब आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संगठन और राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा.

केजरीवाल की प्रतीकात्मक जीत

राजनीतिक हलकों में इसे केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि प्रतीकात्मक जीत के तौर पर देखा जा रहा है, जहां एक साल की देरी, कोर्ट की फटकार और केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद आखिरकार केजरीवाल को उनका अधिकार मिला. अब अरविंद केजरीवाल जल्द ही लोधी एस्टेट स्थित अपने नए सरकारी घर में शिफ्ट होंगे, जहां से वे बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी के राष्ट्रीय विस्तार और आगामी चुनावी रणनीतियों पर काम करेंगे.

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