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सीएम मोहन यादव की पहल पर दिल्ली में विक्रमादित्य की शोभा यात्रा और महानाट्य महामंचन का होगा आयोजन

New Delhi : मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर ऐतिहासिक सम्राट विक्रमादित्य की यशोगाथा को देश की राजधानी दिल्ली में भव्य मंच पर प्रस्तुत किया जाएगा। ‘विक्रमोत्सव 2025’ के अंतर्गत 12 से 14 अप्रैल तक दिल्ली के लाल किला मैदान स्थित माधवदास पार्क में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का आयोजन किया जाएगा, जिसमें उनके जीवन, पराक्रम, न्यायप्रियता और सुशासन को रंगमंच के माध्यम से जीवंत किया जाएगा।

इस तीन दिवसीय आयोजन की शुरुआत शुक्रवार, 11 अप्रैल को भव्य शोभा यात्रा से होगी, जो फतेहपुरी, चांदनी चौक से निकलकर लाल किला पहुंचेगी। इस शोभा यात्रा में रथ, घोड़े, पारंपरिक वाद्य यंत्र और कलाकारों की झांकियां सम्राट विक्रमादित्य के युग की झलक प्रस्तुत करेंगी। इस यात्रा में दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता मुख्य अतिथि होंगी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य देश की सभी पीढ़ियों को सम्राट विक्रमादित्य के स्वर्णिम काल से परिचित कराना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से राज्य सरकार ‘विरासत से विकास’ के ध्येय वाक्य पर काम कर रही है, और इसी दिशा में यह आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम है।

महानाट्य में दिखेगा विक्रमादित्य का जीवन

महानाट्य का लेखन पद्मश्री डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित द्वारा किया गया है और इसका निर्देशन श्री संजीव मालवीय द्वारा किया जाएगा। उज्जैन की विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति की प्रस्तुति में यह नाट्य मंचन लगभग 250 कलाकारों द्वारा किया जाएगा। इसमें सम्राट विक्रमादित्य के जन्म से लेकर उनके सम्राट बनने तक की प्रेरणादायक गाथा प्रस्तुत की जाएगी। नाट्य के दृश्य सजीव बनाने के लिए पालकी, रथ, घोड़े और अत्याधुनिक एलईडी ग्राफिक्स के स्पेशल इफेक्ट्स का प्रयोग किया जाएगा।

प्रदर्शनी और व्यंजन मेले के माध्यम से दिखेगा मध्यप्रदेश का रंग

कार्यक्रम स्थल पर मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा भव्य फूड कोर्ट की व्यवस्था की गई है, जहाँ दर्शक प्रदेश के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे। साथ ही, एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी जिसमें मध्यप्रदेश की संस्कृति, कला और पर्यटन स्थलों की झलक प्रस्तुत की जाएगी।

डॉ. यादव ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य केवल एक शासक नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास, साहित्य, ज्योतिष, आयुर्वेद, गणित और चिकित्सा विज्ञान के स्वर्णिम युग के प्रतीक हैं। उनका योगदान आज भी हमारे समाज और संस्कारों में जीवंत है, और इस आयोजन के माध्यम से उसे जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है।

दिल्लीवासियों में इस आयोजन को लेकर भारी उत्साह है और लाल किला मैदान में देश की सांस्कृतिक विरासत की यह प्रस्तुति एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में दर्ज होगी।

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