
Sambhal News: मस्जिद के पास के गलियों में रहने वाले लोगों ने बताया कि सुबह आंख खुली तब पुलिस और उपद्रवियों के बीच संघर्ष शुरू हो गया था। जिससे सभी लोग घरों में कैद हो गए। गोलियों की आवाज सुनकर बच्चे डर गए। दूध और अन्य जरूरी सामान भी नहीं खरीद सके थे। शाम तक दूध के बिना बच्चे रोने लगे।
जामा मस्जिद प्रकरण को लेकर हुए बवाल के बाद आसपास के लोगों ने आपबीती सुनाई। मस्जिद के पास के गलियों में रहने वाले लोगों ने बताया कि सुबह आंख खुली तब पुलिस और उपद्रवियों के बीच संघर्ष शुरू हो गया था। जिससे सभी लोग घरों में कैद हो गए। गोलियों की आवाज सुनकर बच्चे डर गए। दूध व अन्य जरूरी सामान भी नहीं खरीद सके थे। शाम तक दूध के बिना बच्चे रोने लगे।
मोहल्ला कोट पूर्वी के रहने वाले रोहिताश कुमार, अनुराग सिंह और कोट पश्चिम के रहने वाले शाहनवाज और खलील अहमद ने बताया कि रविवार सुबह करीब 8 बजे आंख खुली तो लोगों की भीड़ जमा थी। थोड़ी देर में आक्रोशित लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिया। इसके बाद माहौल बिगड़ता चला गया। कुछ लोगों ने कार-बाइकों को आग लगा दी। कई वाहनों के शीशे तोड़ दिए।
हिंसा नही भड़के यही कामना
माहौल बिगड़ता देख लोग घरों में कैद हो गए। थोड़ी देर में गोलियों की आवाज सुनाई देने लगी। पुलिस की तरफ से आंसू गैस के गोले छोड़े गए। गोलियों की तड़तड़ाहट से डरे-सहमे बच्चे बिलखने लगे। घर में ही टीवी पर बैठकर शहर के हालात को देखा। दोपहर में छत पर पहुंचे तो मस्जिद के आसपास धुआं उठ रहा था। दुकानें न खुलने से रोजमर्रा का सामान भी नहीं मिल सका। गनीमत रही की पुलिस ने किसी तरह हालात को काबू कर लिया। अब हिंसा नही भड़के यही कामना है।
कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई
जामा मस्जिद के बाहर हुए बवाल के अलावा दो अन्य जगह पर भी पथराव और आगजनी हुई। इसमें 3 लोगों की मौत के साथ दर्जनों लोग घायल हो गए। हिंसा के बाद शहर में सड़कों पर पुलिस की गाड़ियां और एंबुलेंस के सायरन गूंजते सुनाई दिए। घायल पुलिसकर्मियों और उपद्रवियों को लेकर एंबुलेंस अस्पताल पहुंचीं। संभल सीएचसी के प्रभारी डॉ. मनीष अरोड़ा ने बताया कि इमरजेंसी में सभी कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। एंबुलेंस से घायल पुलिस कर्मी को जिला अस्पताल पहुंचा गया। जिला अस्पताल के सीएमएस ने बताया कि एक सिपाही गंभीर हालत में अस्पताल आया था, उसे रेफर कर दिया गया। वही अन्य घायल पुलिसकर्मियों का उपचार किया गया।
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