
कल्याण विभाग इन दिनों मानसून के कारण बेघर हुए प्रभावित लोगों को घर बनाने के लिए पत्र भेज रहा है, जिसमें स्वर्ण जयंती आश्रय योजना के लिए आवेदन करने पर जोर दिया जा रहा है। यह पत्र मिलने के बाद लोगों को थोड़ी देर के लिए तो राहत महसूस होती है, लेकिन नियम व शर्तें पढ़ने के बाद उनका सिर चकराने लगता है। सबसे बड़ी शर्त में सालाना आय को 50,000 रुपये से कम तक सीमित करना भी शामिल है। अधिकांश मरीज़ इस शर्त को पूरा नहीं कर सकते।
मंत्रालय की ओर से डेढ़ लाख रुपये का भुगतान
मंत्रालय की ओर से डेढ़ लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। आपदा प्रभावित परिवारों के सदस्य रमेश सिंह, राम सिंह और त्रहडू राम ने सवाल किया कि क्या आपदा ने अमीर और गरीबों को समान रूप से प्रभावित किया है। नतीजा यह हुआ कि भूकंप में उन्होंने अपना सब कुछ खो दिया और बेघर हो गये। अब मेरे पास आय का कोई साधन नहीं है। जब घर बनाने के लिए धन जुटाने का समय आया तो शेड्यूल में 50,000 रुपये की आवश्यकता ने उनकी निराशा को और बढ़ा दिया। यह स्थिति बिल्कुल भी तर्कसंगत नहीं है। हम आपको बताना चाहेंगे कि स्वर्ण आश्रय योजना से संबंधित पत्र समाज कल्याण विभाग द्वारा लाभार्थियों को नहीं बल्कि अन्य प्रभावित व्यक्तियों को भेजा गया था। पत्र में शुरुआत में ही कहा गया है कि मंत्रालय को मंत्रालय को जानकारी मिली है कि घर पूरी तरह से नष्ट हो गया है और लोगों से आवेदन करने के लिए कहा गया है ताकि वे आवेदन प्रक्रिया पूरी कर सकें और अपना आवेदन जमा कर सकें। उच्च स्तर को प्राथमिकता दी जाती है।
स्वर्ण जयंती आश्रय कार्यक्रम हेतु भेजे जायेंगे आवेदन पत्र
मंडी जिले में 991 घर क्षतिग्रस्त हुए और 2,308 से अधिक घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। पीड़ितों की संख्या हजारों में है। विस्थापित लोगों को रिश्तेदारों के पास रहने के लिए मजबूर किया जाता है, और कुछ आपदाग्रस्त प्रशासन द्वारा स्थापित अस्थायी शिविरों में रहते हैं।