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Delhi : दिल्ली कैबिनेट ने सर्वसम्मति से बस मार्शलों की तत्काल बहाली की एलजी से सिफारिश की

CM Atishi

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Delhi : दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने सर्वसम्मति से उपराज्यपाल वीके सक्सेना से बस मार्शलों को तत्काल बहाल करने की सिफारिश की है। दिल्ली कैबिनेट का कहना है कि बस मार्शलों के लिए योजना बनाना सर्विसेज के साथ-साथ कानून-व्यवस्था का मसला है। इसलिए एलजी से बस मार्शलों के लिए योजना बनाने का अनुरोध किया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों ने दिल्ली सरकार को लिखित में दिया है कि बस मार्शलों के लिए पॉलिसी बनाने का अधिकार केवल एलजी के पास है। योजना बनने तक बस मार्शलों को 31 अक्टूबर 2023 से पहले की तरह तुरंत बहाल किया जाना चाहिए। एलजी को पॉलिसी बनाने में कई महीने या साल लग सकते हैं। इसलिए दिल्ली कैबिनेट ने जो बस मार्शल जहां तैनात थे, वहीं पर तत्काल बहाल करने का आग्रह किया है। दिल्ली सरकार बस मार्शलों पर आने वाले सभी तरह के वित्तीय खर्च को उठाने के लिए तैयार है। एलजी को सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को बस मार्शल के रूप में इस्तेमाल करने की तत्काल इजाजत देनी चाहिए। समझने में आसानी के लिए कैबिनेट बैठक का निर्णय एलजी को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में भेजा गया है।

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दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली देश की राजधानी है। पूरी दुनिया की नजर दिल्ली पर रहती है। इस कारण दिल्ली में हर छोटी-बड़ी घटना पूरी दुनिया में भारत की छवि पर प्रभाव डालती है। इसी को ध्यान में रखते हुए अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने दिल्ली में बसों के अंदर महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए बस मार्शल नियुक्त करने का ऐतिहासिक कदम उठाया। जिससे यात्रियो को, खासकर महिलाओं को छेड़छाड़, अपराध और हिंसा से बचाया जा सके।

2012 की निर्भया घटना ने महिला सुरक्षा की कमी को उजागर किया। दिल्ली सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए यह योजना शुरू की है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में इस योजना से हर बस में दिन और रात की शिफ्ट में वर्दीधारी मार्शल मौजूद रहते हैं, ताकि बसों में हर समय सुरक्षा बनी रहे। बस मार्शल का काम सिर्फ निगरानी करना ही नहीं है, बल्कि यह यात्रियों, खासकर महिलाओं को यह भरोसा भी देता है कि बस में ऐसा व्यक्ति मौजूद है जो छेड़छाड़, चोरी या झगड़े जैसी घटनाओं को रोकने के लिए तैयार है।

सीसीटीवी कैमरे घटना के बाद अपराधी की पहचान करने में मदद करते हैं, लेकिन बस मार्शल तुरंत कार्रवाई करते हैं, जिससे किसी की जान भी बचाई जा सकती है। निर्भया कांड जैसी घटनाओं में, अगर बस में मार्शल होता तो शायद वह घटना रोक सकता था और किसी की बेटी या बहन को बचाया जा सकता था। बस मार्शल की मौजूदगी से बसों में एक सुरक्षित माहौल बनता है, जिससे सभी यात्री, खासकर महिलाएं, बिना डर के सफर कर सकती हैं। इस तरह यह योजना दिल्ली सरकार का एक बड़ा और असरदार कदम है। लेकिन 2015 में शुरू हुई बस मार्शल योजना अब संकट में है, जिससे 10,000 से ज्यादा परिवारों की रोजी-रोटी और महिलाओं की सुरक्षित यात्रा पर खतरा मंडरा रहा है। अगर यह सुरक्षा नहीं मिलती, तो दिल्ली की बसों में फिर से दुखद घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।

11 मई 2015 को दिल्ली सरकार के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में दिल्ली सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली की बसों में जल्द से जल्द मार्शलों को तैनात करने की इच्छा जताई थी। इसके बाद 17 जून 2015 को उपराज्यपाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह तय हुआ कि 22 जून 2015 से 2,000 होमगार्ड को दिल्ली पुलिस डीटीसी बसों में बस मार्शल के रूप में तैनात करेगी। इसके तहत स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के निर्देश पर 1500 होमगार्ड बस मार्शल के रूप में और 500 होमगार्ड अस्पतालों में तैनात किए गए।

18 सितंबर 2015 को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बैठक में यह फैसला लिया कि दिल्ली की सभी डीटीसी बसों में मार्शल तैनात किए जाएंगे। डीटीसी के कहने पर, दिल्ली सरकार ने आदेश जारी करके 24 नवंबर 2015 से 5,000 सिविल डिफेंस वालंटियर्स (सीडीवी) को बस मार्शल के रूप में तैनात किया। यह पहली बार था जब सीडीवी को इस भूमिका में शामिल किया गया।2015 से हर साल दिल्ली विधानसभा ने बस मार्शलों के वेतन के लिए बजट में पैसा मंजूर किया है।

3 जून 2019 को परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने एक निर्देश जारी किया, जिसमें कहा गया कि बस मार्शल योजना को क्लस्टर बसों में भी लगाया जाए और सभी बसों में मार्शल तैनात करने के लिए भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाई जाए। 8 अगस्त 2019 को मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल की बैठक में फैसला लिया गया कि 1 सितंबर 2019 से दिल्ली की सभी बसों में दो शिफ्टों में मार्शल तैनात किए जाएंगे। यह भी तय हुआ कि तैनाती प्रक्रिया को तेजी से पूरा करने के लिए जिलाधिकारियों के स्तर पर इसे आयोजित किया जाएगा और 26 अगस्त 2019 तक सीडीवी का चयन कर लिया जाएगा ताकि डीटीसी और क्लस्टर बसों में उन्हें जल्द से जल्द तैनात किया जा सके। इस प्रकार दिल्ली की बसों में महिलाओं और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर यह फैसले लिए गए थे।

2022-23 के लिए विधानसभा ने बस मार्शल योजना के लिए 280 करोड़ रुपये मंजूर किए थे। कई सालों से वित्त विभाग बस मार्शलों के वेतन के लिए पैसा जारी करता आ रहा था और समय पर वेतन भी मिलता था। लेकिन 12 जनवरी 2023 से वित्त विभाग ने कई सवाल उठाने शुरू कर दिए। वित्त विभाग ने परिवहन विभाग से कहा कि या तो बस मार्शल की व्यवस्था को सही योजना के तहत नियमित किया जाए या फिर इसे पूरी तरह बंद कर दिया जाए। 3 अगस्त 2023 को वित्त विभाग ने अचानक कई कानूनी सवाल उठाए, जैसे कि नागरिक सुरक्षा अधिनियम, 1968 के तहत सीडीवी, होमगार्ड और पूर्व सैनिकों की बस मार्शल के रूप में तैनाती का औचित्य। इन सवालों के कारण फाइलें बस घूमती रहीं और हजारों बस मार्शलों का वेतन कई महीनों तक अटका रहा।

29 अगस्त 2023 को परिवहन प्रमुख सचिव, आशीष कुंद्रा ने एक नोट लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि सीडीवी को बस मार्शल के रूप में तैनात करना स्थायी समाधान नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि अब सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन जैसी सुरक्षा सुविधाएं काफी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कंडक्टरों को मार्शल की तरह काम करने के लिए कुछ अतिरिक्त ट्रेनिंग और वेतन दिया जा सकता है।‘ साथ ही, उन्होंने सितंबर तक का रुका हुआ वेतन देने की बात कही।

जिसके बाद 19 सितंबर 2023 को परिवहन मंत्री श्री कैलाश गहलोत ने साफ-साफ कहा, ‘’बस मार्शल योजना जारी रहेगी, बस मार्शलों को भुगतान किया जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो इसके लिए कैबिनेट नोट भी जारी किया जाएगा। उन्होंने कुछ उदाहरण भी दिए, जहां बस मार्शलों ने बड़ी मुस्तैदी से अपना काम किया।

मंत्री कैलाश गहलोत ने लेटर में बताया कि 20 नवंबर 2019 को मार्शल अरुण कुमार (आईडी-0063) और कंडक्टर वीरेंद्र डांगी (आईडी-4887) ने बस नंबर 1001 में ड्यूटी के दौरान एक व्यक्ति को धौला कुआं पर बस से उतरने की कोशिश करते पकड़ा। उस व्यक्ति के साथ एक 4 साल की बच्ची थी, जो लगातार रो रही थी। पूछताछ के बाद पता चला कि उस व्यक्ति ने निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से बच्ची का अपहरण किया था। पुलिस ने उस व्यक्ति को गिरफ्तार किया और बच्ची को उसी दिन उसके माता-पिता को सौंप दिया।

इसी तरह 29 अक्टूबर 2019 को सुबह की शिफ्ट में ड्यूटी पर तैनात मार्शल मनीष कुमार (आईडी-02/00105) ने देखा कि एक यात्री टिकट नहीं ले रहा था और उसका व्यवहार संदेहास्पद था। मनीष ने उसके बैग की तलाशी ली तो उसमें पाँच मोबाइल और चार एटीएम स्वाइप मशीनें मिलीं। मनीष ने तुरंत पुलिस को फोन कर यात्री को पुलिस के हवाले कर दिया।नवंबर 2019 में मार्शल संतोष ने डीटीसी बस नंबर 540 में एक चोर को मोबाइल फोन चुराते हुए रंगे हाथों पकड़ा और उसे पुलिस को सौंप दिया। 6 जनवरी 2023 को रोहिणी इलाके में एक बस में एक व्यक्ति ने एक लड़की के सामने अश्लील हरकत की। मार्शल संदीप चकरा ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंप दिया।इस तरह से बस मार्शलों ने कई बार अपनी जिम्मेदारी से काम करके यात्रियों की मदद की।ऐसे और भी कई उदाहरण हैं, जो दिखाते हैं कि सीसीटीवी कैमरे घटना के बाद सबूत देते हैं, लेकिन बस मार्शल की मौजूदगी से घटनाओं को तुरंत रोका जा सकता है।

मंत्री कैलाश गहलोत ने मार्शलों द्वारा किए गए अच्छे कामों की, खासकर कोविड के दौरान, सराहना की। उन्होंने कहा कि सरकार का बस मार्शल योजना को बंद करने का कोई इरादा नहीं है। हर बस में हमेशा एक वर्दीधारी बस मार्शल होना चाहिए, खासकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए इसमें कोई ढील नहीं दी जा सकती। कई महीनों से बस मार्शलों को वेतन नहीं मिला है। यह चिंता का विषय है कि फाइलें परिवहन विभाग और वित्त विभाग के बीच अटकी हुई हैं और कोई नतीजा नहीं निकला है। राजस्व विभाग ने सिविल डिफेंस वालंटियर्स की तैनाती को लेकर आपत्ति जताई है, लेकिन इन वालंटियर्स ने कोविड, बाढ़ जैसी मुश्किल स्थितियों में बहुत अच्छा काम किया है। इस योजना का मुख्य मकसद महिला यात्रियों की सुरक्षा है, इसलिए इसे किसी एक अधिकारी की राय पर बंद नहीं किया जा सकता। जब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती, तब तक बसों में सीडीवी और होमगार्ड की तैनाती जारी रहेगी। अगर जरूरत हो, तो इस संबंध में कैबिनेट नोट भी जारी किया जाएगा।

मामले को आगे बढ़ाने के लिए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत और राजस्व मंत्री आतिशी ने 25 सितंबर 2023 को बस मार्शल की तैनाती के मुद्दे को आगे बढ़ाने के लिए एक बैठक की। बैठक में प्रमुख सचिव सह परिवहन आयुक्त को निर्देश दिया गया कि एक प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिसमें होमगार्ड को बस मार्शल के रूप में तैनात करने, सिविल डिफेंस वालंटियर (सीडीवी) को किए जाने वाले बकाया भुगतान और होमगार्ड की तैनाती होने तक सीडीवी को अस्थायी रूप से बस मार्शल के तौर पर जारी रखने संबंधी प्रावधान शामिल हों। लेकिन 25 सितंबर 2023 को ही परिवहन विभाग के विशेष आयुक्त ने सुझाव दिया कि सीडीवी की सेवाओं को खत्म कर देना चाहिए और बस मार्शल की संख्या कम कर देनी चाहिए। उनका कहना था कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत बस पर नियंत्रण ड्राइवर और कंडक्टर का होता है। दुर्घटना या अपराध की सूचना देना उनकी जिम्मेदारी है, और ऐसे में बस मार्शल की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

विशेष आयुक्त ने कहा कि निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत बढ़ गई थी, पर तब ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तकनीकी उपकरण उपलब्ध नहीं थे। अब बसों में सीसीटीवी, पैनिक बटन, और जीपीएस ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं हैं, जो कमांड और कंट्रोल सेंटर से जुड़ी हैं। ऐसे में सीडीवी को बस मार्शल के रूप में तैनात करने पर नए सिरे से सोचना जरूरी है।

इस पर 27 सितंबर 2023 को परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा ने एक और नोट लिखा, जिसमें पहले की बैठक में दिए गए निर्देशों का जिक्र करते हुए माननीय उपराज्यपाल से फैसला लेने का अनुरोध किया, ताकि कैबिनेट की मंजूरी मिल सके। इसमें अगले कदमों पर भी चर्चा हुई और दोनों मंत्रियों ने अपनी राय दी कि बस मार्शलों को दोनों शिफ्टों में काम करना चाहिए। बस मार्शल के रूप में सिविल डिफेंस वालंटियर होना जरूरी नहीं है, होम गार्ड को भी तैनात किया जा सकता है। लेकिन, जब तक होम गार्ड की तैनाती नहीं होती, मौजूदा व्यवस्था जारी रहनी चाहिए। साथ ही, बस मार्शलों का बकाया वेतन भी जारी किया जाना चाहिए।

इसके बावजूद, परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा ने कहा कि सिविल डिफेंस वालंटियर्स की तैनाती उचित नहीं है। अब बसों में पैनिक बटन, सीसीटीवी और जीपीएस ट्रैकिंग जैसे तकनीकी साधन मौजूद हैं, और संकट के समय महिलाओं की मदद के लिए दिल्ली पुलिस का हिम्मत ऐप भी उपलब्ध है। इसके अलावा, बस मार्शलों की तैनाती पर होने वाले खर्च को भी ध्यान में रखा गया है। इसलिए यह तय किया गया कि अगले कदम के लिए उपराज्यपाल से स्पष्ट दिशा-निर्देश प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि बाद में कैबिनेट की मंजूरी ली जा सके।

13 अक्टूबर 2023 को मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इस नोट को मंजूरी देते हुए कहा कि बस मार्शल का मामला एक ‘‘आरक्षित विषय’’ है, जो केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। उनके अनुसार, महिलाओं की सुरक्षा ‘‘कानून और व्यवस्था’’ का विषय है, और केंद्र सरकार का इस पर विशेष अधिकार है। उन्होंने सुझाव दिया कि सिविल डिफेंस वालंटियर्स की नियुक्ति 45 दिनों से अधिक होने पर गृह मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन होना चाहिए। और कहा कि मंत्री के पिछले निर्देशों के मद्देनजर, विभाग को अगले कदम पर फैसला लेना चाहिए।

इस घटना से यह साफ़ होता है कि वित्त विभाग, परिवहन विभाग, राजस्व विभाग, मुख्य सचिव नरेश कुमार और डीटीसी के अधिकारियों ने बस मार्शलों के भुगतान में देरी करते हुए पासिंग-द-पाल्सल का खेल खेला। 20 अक्टूबर 2023 को परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने फिर से हस्तक्षेप किया और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक नोट लिखा, जिसमें दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बस मार्शलों की अहमियत पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बस मार्शलों के अच्छे काम की सराहना की और विभागों की देरी पर सवाल उठाए। मंत्री ने उन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की सिफारिश की, जिन्होंने महिलाओं की सुरक्षा को खतरे में डाला और बस मार्शलों को भुगतान देने से इन्कार किया।

मंत्री कैलाश गहलोत ने नोट में लिखा, “दिल्ली में महिलाएं डीटीसी बसों में हमेशा उत्पीड़न का सामना करती हैं। इसीलिए बस मार्शल योजना शुरू की गई थी, ताकि हर वक्त वर्दीधारी व्यक्ति मौजूद रहे और महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न और हिंसा को रोका जा सके। बसों में बस मार्शल की मौजूदगी बदमाशों को काबू करने में मदद करती है और महिलाओं को सुरक्षा का एहसास कराती है। अगर इनको बसों से हटा दिया जाता है, तो ये असामाजिक तत्वों को यह संदेश जाएगा कि अब उनकी मनमानी चल सकती है, और महिलाएं सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने से डरने लगेंगी। आजकल जब महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, तो यह शर्मनाक कदम होगा।“

मंत्री कैलाश गहलोत ने नोट में आगे कहा कि सीसीटीवी, पैनिक बटन और कमांड सेंटर से जीपीएस ट्रैकिंग जैसे तकनीकी उपाय सार्वजनिक परिवहन को सुरक्षित बनाने के लिए अच्छे हैं, लेकिन क्या ये तुरंत हस्तक्षेप कर सकते हैं या बदमाशों को पकड़ सकते हैं? क्या ये उपाय पुलिस या सुरक्षा गार्ड्स के महत्व को बदल सकते हैं? क्या सीसीटीवी या पैनिक बटन उस व्यक्ति को पकड़ सकते थे जो एक 4 साल की बच्ची का अपहरण कर रहा था? प्रमुख सचिव आशीष कुंद्रा के अनुसार, अगर सीसीटीवी को सुरक्षा अधिकारियों के स्थान पर रखा जा सकता है, तो दिल्ली में पुलिस गश्त की कोई जरूरत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि दिल्ली में दुनिया का सबसे घना सीसीटीवी नेटवर्क है। लेकिन संवेदनशील मामलों में मानवीय हस्तक्षेप जरूरी है ताकि अपराध को रोका जा सके और महिलाओं को यह महसूस हो कि उन्हें तुरंत मदद मिल सकती है। तकनीकी उपाय केवल जांच के दौरान काम आते हैं; जब तक ये मानव हस्तक्षेप की जगह नहीं ले सकते, जो घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है।सुरक्षा उपायों के स्तर के बारे में सोचें- सीसीटीवी कैमरे, पैनिक बटन और बस मार्शल महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए सुरक्षा की तीन लेयर देते हैं। हमारे देश में प्रधानमंत्री को बारह लेयर की सुरक्षा दी जाती है और मुख्यमंत्री को पांच लेयर की सुरक्षा मिलती है। अगर सरकार दिल्ली की महिलाओं को तीन लेयर की सुरक्षा देना चाहती है, तो कौन अधिकारी है जो इसके खिलाफ फैसला करेगा?

मंत्री कैलाश गहलोत ने आगे कहा कि इसलिए मैं, परिवहन मंत्री के रूप में, सिफारिश करता हूं कि परिवहन विभाग, वित्त विभाग और डीटीसी के अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, जिन्होंने न केवल बस मार्शलों को भुगतान नहीं किया, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा को भी खतरे में डाला। प्रमुख सचिव-सह-आयुक्त श्री आशीष कुंद्रा को उनके निर्देशों का पालन करने से मना करने के लिए निलंबित किया जाए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। साथ ही, परिवहन मंत्री से कैबिनेट नोट का मसौदा छिपाने की जांच की जाए और यह पता लगाया जाए कि किसके निर्देश पर उन्होंने इसे छिपाया। वित्त सचिव श्री आशीष सी वर्मा के खिलाफ निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, क्योंकि उन्होंने फाइल पर कई बार सवाल उठाकर बस मार्शल योजना को रोक दिया और महिलाओं की सुरक्षा को खतरे में डाला। बस मार्शल योजना के संदर्भ में यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी लंबित भुगतान तुरंत जारी किए जाएं, साथ ही होमगार्ड को बस मार्शल के रूप में तैनात किया जाए और बस मार्शलों की संख्या में कोई कमी न होने पाए। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 20 अक्टूबर 2023 को परिवहन मंत्री की सिफारिशों को मंजूरी दी।

परिवहन मंत्री की सिफारिशों के संदर्भ में, पैरा 149(ए) से संबंधित बिंदु उपराज्यपाल की शक्ति से जुड़ा है, जिसे वे अपनी विवेकाधिकार से लागू कर सकते हैं। इस मामले को अगली बैठक में रखा जाएगा और उपराज्यपाल बाद में इस पर निर्णय लेंगे। वहीं, पैरा 149(बी) की सिफारिशों को स्वीकृत किया जाता है, जिसे उपराज्यपाल के सामने रखा गया है, ताकि वे यह तय कर सकें कि वे संविधान के अनुच्छेद 239 एए(4) को लागू करना चाहते हैं या नहीं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गृह मंत्री कैलाश गहलोत को 27 अक्टूबर 2023 को एक नोट भेजा, जिसमें मौजूदा सीडीवी (सिविल डिफेंस वालंटियर्स) जो बस मार्शल के रूप में काम कर रहे हैं, उन्हें होमगार्ड के रूप में नियुक्त करने की योजना बनाने का निर्देश दिया।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नोट में कहा कि क्योंकि मौजूदा सिविल डिफेंस वालंटियर्स के पास बस मार्शल के रूप में काम करने का अनुभव है, हमें उन्हें बस मार्शल के रूप में काम जारी रखने की योजना बनानी चाहिए, जब तक उनके खिलाफ कोई विशेष शिकायत न हो। यदि इन्हें अचानक हटा दिया जाता है, तो यह इन लोगों के परिवारों को वित्तीय संकट में डाल सकते हैं। इसलिए, अगर हम इन्हें होमगार्ड के रूप में नियुक्त करते हैं और इन्हें बस मार्शल की ड्यूटी पर लगाते हैं, तो एक ओर सरकार को अनुभवी लोग मिलेंगे और दूसरी ओर उनकी नौकरी जारी रहेगी।

उपराज्यपाल ने 31 अक्टूबर 2023 को अपनी नोट में यह प्रस्ताव लागू नहीं किया और मामले को राष्ट्रपति के पास भेजने का फैसला नहीं लिया।इसे देखते हुए, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गृह मंत्री कैलाश गहलोत को एक नोट लिखा। जिसमें उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग के प्रधान सचिव-सह-आयुक्त आशीष कुंद्रा और वित्त विभाग के प्रधान सचिव आशीष वर्मा के खिलाफ निलंबन और अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जाए। साथ ही, उन्होंने बस मार्शलों के संबंध में कहा कि बस मार्शलों के सभी लंबित भुगतान दिवाली से पहले तुरंत जारी किए जाएंगे। होमगार्डों को शीघ्र ही बस मार्शल के रूप में तैनात किया जाएगा और बस मार्शलों की संख्या में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। जब तक होमगार्ड को बस मार्शल के रूप में नियुक्त नहीं किया जाता, तब तक मौजूदा बस मार्शल को जारी रखा जाएगा ताकि महिलाओं की सुरक्षा में कोई कमी न हो।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 27 अक्टूबर 2023 को उपराज्यपाल को पत्र भेजकर अनुरोध किया कि 1 नवम्बर 2023 से बस मार्शल की सेवाएं बंद न की जाएं। उन्होंने उपराज्यपाल को पत्र लिखकर सिफारिश की कि मौजूदा बस मार्शलों की सेवाएं तब तक जारी रखी जानी चाहिए जब तक उनके स्थान पर पर्याप्त संख्या में होमगार्ड नियुक्त नहीं किए जाते, अन्यथा महिलाओं की सुरक्षा प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि 1 नवम्बर से बस मार्शलों की सेवाएं बंद नहीं की जाएंगी। लेकिन 31 अक्टूबर 2023 को राजस्व विभाग ने एक आदेश जारी किया, जिसमें सभी विभागों में सिविल डिफेंस वालंटियर की नियुक्ति खत्म कर दी गई। इसका मतलब यह हुआ कि एक ही बार में अधिकांश बस मार्शल हटा दिए गए।

1 नवंबर 2023 को राजस्व मंत्री आतिशी ने संभागीय आयुक्त को निर्देश दिया था कि वे 31 अक्टूबर 2023 के अपने आदेश को बदलें, क्योंकि निर्णय लिया गया था कि होमगार्ड की पर्याप्त संख्या आने तक सिविल डिफेंस वालंटियर्स को बस मार्शल के रूप में नियुक्त किया जाएगा। हालांकि, संभागीय आयुक्त ने राजस्व मंत्री के निर्देशों और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आदेश का पालन करने से मना कर दिया। इसके बाद, आतिशी ने इस बात को मुख्यमंत्री के सामने उठाया, क्योंकि अधिकारियों ने उनके आदेश की खुलेआम अनदेखी की थी। दूसरी ओर, बस मार्शल अपनी बहाली की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वे कई महीनों से आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। वेतन नहीं मिलने के कारण कई बस मार्शल अपने बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए ऋण या परिवार और दोस्तों की मदद पर निर्भर हैं। उन्हें खाने, बिजली और पानी की भी कमी हो रही है। मीडिया में यह खबरें भी आईं कि वेतन संकट के कारण दिल्ली में तीन बस मार्शल की मौत हो गई।

विभागों को कई निर्देश देने के बाद, मंत्री (राजस्व), आतिशी ने 11 सितंबर 2024 को एलजी को एक पत्र लिखा, जिसमें उनसे बस मार्शलों को बहाल करने का अनुरोध किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग बस मार्शलों को हटाने के लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, क्योंकि ये लोग अपनी पूरी तरह इस नौकरी पर निर्भर थे।

मंत्री आतिशी ने अपने पत्र में लिखा कि हमने बस मार्शलों को काम पर रखने की प्रक्रिया फिर से शुरू करने के लिए विभाग को कई निर्देश दिए हैं। हालांकि, यह सेवा आपके क्षेत्राधिकार में आती है, इसलिए यह निर्णय आपको ही लेना चाहिए। हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कृपया इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से देखें, क्योंकि इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। दिल्ली में निर्वाचित सरकार के रूप में, हम बस मार्शलों को उनके काम पर बहाल करने के लिए हर संभव सहायता देने के लिए तैयार हैं। हमें उम्मीद है कि इस पर विचार किया जाएगा और जल्द ही आपके द्वारा सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।

29 फरवरी 2024 को मुख्य सचेतक दिलीप पांडे ने बस मार्शलों की बहाली को लेकर विधानसभा सदन में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें यह संकल्प लिया गया कि सभी सिविल डिफेंस वालंटियर्स को बस मार्शल के रूप में बहाल किया जाए। महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उपराज्यपाल से बस मार्शलों की नियुक्ति नीति की मंजूरी ली जाए और उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जिन्होंने बस मार्शलों को हटाने का आदेश दिया। इसके साथ ही, राजस्व मंत्री और परिवहन मंत्री ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसमें सीडीवी को बस मार्शल के रूप में बहाल करने का अनुरोध किया गया। इसके बाद, 26.09.2024 को सदन द्वारा प्रस्ताव को पारित किया गया, जिसमें यह संकल्प लिया गया कि डीटीसी बसों में तैनात सभी सिविल डिफेंस बस मार्शल को बहाल किया जाए और उनकी सेवाओं को स्थायी रूप से किया जाए। यह भी तय किया गया कि भाजपा और आप के सभी विधायक 3 अक्टूबर 2024 को उपराज्यपाल से मिलेंगे और बस मार्शलों की बहाली के लिए किसी भी दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करेंगे। बाद में इसी प्रस्ताव को 5 अक्टूबर 2024 को जीएनसीटीडी के मंत्रिपरिषद द्वारा अनुमोदित और अनुशंसा किया गया। उसके बाद, प्रस्ताव को उसी दिन शीघ्र निर्णय के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा गया।

मुख्यमंत्री आतिशी ने परिवहन विभाग को निर्देश दिया कि वे एक कैबिनेट नोट का मसौदा तैयार करें, जिसमें बस मार्शलों की नियुक्ति पर विचार-विमर्श के लिए मंत्री समूह (जीओएम) का गठन किया जाए। महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए यह मामला विचाराधीन है, क्योंकि राजस्व विभाग द्वारा सिविल डिफेंस वालंटियर्स की तैनाती 31 अक्टूबर 2023 से बंद कर दी गई है।

इस पर परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रशांत गोयल ने 6 नवंबर 2024 को अपने नोट में कहा कि बस मार्शल की नियुक्ति, चाहे वह स्थायी हो या अस्थायी, सेवाओं के विषय में आती है, जिसे दिल्ली सरकार के कार्यकारी क्षेत्र से बाहर रखा गया है। यह भी कहा गया कि इन पदों को बनाने का अधिकार केवल उपराज्यपाल के पास है। जीएनसीटीडी के पेरोल पर बस मार्शल की व्यवस्था, चाहे स्थायी हो या अस्थायी, दिल्ली सरकार के क्षेत्र से बाहर है। इस मुद्दे पर आगे विचार करना मंत्रिपरिषद और जीओएम के लिए उचित नहीं होगा, क्योंकि यह एक नीतिगत मामला नहीं है, बल्कि पदों के सृजन से संबंधित है, जिसे वित्त और प्रशासनिक विभागों द्वारा विचार करने के बाद उपराज्यपाल द्वारा किया जाएगा।

अपर मुख्य सचिव प्रशांत गोयल के कहा कि सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षा मुद्दा मुख्य रूप से सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़ा हुआ है और यह दिल्ली पुलिस के अधिकार क्षेत्र में आता है। इस विभाग के लिए बस मार्शलों की तैनाती और उनकी जरूरत का सही तरीके से मूल्यांकन करना मुश्किल होगा। शहरी इलाकों में भीड़-भाड़ वाले समय में बस मार्शल की तैनाती बहुत ज़रूरी नहीं होगी। इसलिए, इससे पहले दिल्ली पुलिस से सलाह लेना ठीक रहेगा। पुलिस यह भी सुझाव दे सकती है कि अगर बस मार्शल ज़रूरी हैं, तो क्या हर बस में एक महिला और एक पुरुष मार्शल होना चाहिए। हालांकि, यह वही स्थिति है जैसा मुख्य सचिव नरेश कुमार ने 13 अक्टूबर 2023 को अपने नोट में लिखा था।

10 नवंबर 2024 को हुई सभी मंत्रियों की बैठक में यह तय किया गया कि बस मार्शल महिलाओं की सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी हैं। सार्वजनिक बसों में बस मार्शलों का मुख्य कार्य महिलाओं और कमजोर यात्रियों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करना है, इसलिए उनकी तैनाती पर विचार करना बेहद आवश्यक है। सार्वजनिक सुरक्षा में कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता, खासकर महिलाओं के लिए, जो अपनी सुरक्षित यात्रा पर पूरी तरह निर्भर हैं। इस वजह से बस मार्शल की बहाली को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि उनकी उपस्थिति अपराधों को रोकने में मदद करती है, जो तकनीकी उपायों से संभव नहीं हो सकता। बहाली में देरी से सुरक्षा से संबंधित घटनाओं में इजाफा हो सकता है और यात्रियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है। इसके अतिरिक्त, दिल्ली की परिवहन व्यवस्था में लोगों का विश्वास भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए, जो लगभग 10,000 बस मार्शल पहले दिल्ली सरकार में काम कर रहे थे, उन्हें जल्द से जल्द बहाल किया जाना चाहिए। बस मार्शल न केवल परिवहन व्यवस्था में सुरक्षा का ध्यान रखते हैं, बल्कि यह हजारों परिवारों के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी हैं। इन पदों को समाप्त करने से कई परिवारों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ा है, और इनकी बहाली से न केवल बसों में सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि इन परिवारों को वित्तीय मदद भी मिलेगी।

यह साफ है कि बस मार्शल की बहाली के लिए कोई लंबा-चौड़ा प्रस्ताव तैयार किया जाएगा, जो उन बिंदुओं पर आधारित होगा जिसमें 27 सितंबर 2023 को परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा ने एक नोट में कहा था कि पहले उपराज्यपाल की मंजूरी ली जानी चाहिए, इसके बाद मंत्रिपरिषद की मंजूरी ली जा सकती है। 13 अक्टूबर 2023 को मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एक नोट में यह कहा था कि यह मामला महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा है, और इस वजह से यह कानून और व्यवस्था से संबंधित है, जो केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आता है। 6 नवंबर 2024 को परिवहन एसीएस प्रशांत गोयल ने भी एक नोट में कहा था कि बस मार्शल की नियुक्ति का मामला उपराज्यपाल के अधिकार में आता है। इसके बावजूद, 10 नवंबर 2024 को हुई ऑल मिनिस्टर्स की बैठक में उपस्थित मंत्रियों ने यह निर्णय लिया कि महिलाओं की सुरक्षा पर और कोई समझौता नहीं किया जा सकता, और इसलिए बस मार्शलों को तुरंत बहाल किया जाना चाहिए।

बस मार्शल की योजना एक सेवा और कानून व्यवस्था से जुड़ा मामला है, हम उपराज्यपाल से अनुरोध करते हैं कि वे इसके लिए एक योजना तैयार करें। दिल्ली सरकार इस योजना के लिए आवश्यक बजट मुहैया कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। योजना के अंतिम रूप से तैयार होने तक, जहां-जहां भी बस मार्शल तैनात हैं, उन्हें तुरंत बहाल किया जाए। इसके साथ ही, उपराज्यपाल इस योजना के पूरा होने तक सिविल डिफेंस वालंटियर्स को बस मार्शल के रूप में काम करने की अनुमति भी दे सकते हैं।

सीएम आतिशी ने भी एलजी से बस मार्शलों की बहाली की सिफारिश की

दिल्ली कैबिनेट के साथ-साथ मुख्यमंत्री आतिशी ने भी एलजी को एक आधिकारिक नोट भेजकर बस मार्शलों की बहाली की सिफारिश की है। उन्होंने एलजी को भेजे अपने नोट में कहा है कि एसीएस ट्रांसपोर्ट द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि बस मार्शलों का मुद्दा एलजी के अधीन आता है। इसलिए योजना बनने तक बस मार्शलों को 31 अक्टूबर 2023 से पहले की तरह तुरंत बहाल किया जाए। उन्होंने आग्रह किया है कि एलजी को सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स को बस मार्शल के रूप में इस्तेमाल करने के लिए एक बार की छूट देनी चाहिए। बता दें कि 10 नवंबर 2024 को सीएम आतिशी की अध्यक्षता में सभी मंत्रियों की हुई बैठक में बस मार्शलों और बसों में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की गई। उस चर्चा की रिपोर्ट हिंदी और अंग्रेजी दोनों में एलजी को भेजी गई है।

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