
CM Yogi statement : सीएम योगी ने वक्फ संपत्ति को लेकर बयान दिया था। इसी पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की प्रतिक्रिया आई है। मौलाना मदनी ने कहा कि इनका इस्तेमाल इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार मस्जिदों, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों और अनाथालयों के निर्माण और जरूरतमंदों की मदद के लिए किया जाता है।
मौलाना मदनी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का उद्देश्य हमेशा से ही सामाजिक भलाई और कल्याण रहा है। वक्फ बोर्ड की स्थापना वक्फ अधिनियम 1954 के तहत की गई है। इसी आधार पर देश के अधिकांश राज्यों में वक्फ अधिनियम स्थापित हैं, जिनकी देखरेख और संरक्षण राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है।
‘वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए…’
मौलाना मदनी ने कहा कि यूपी वक्फ बोर्ड सीएम योगी की सरकार के संरक्षण में ही काम कर रहा है. इसके साथ ही एक केंद्रीय वक्फ परिषद भी है, जो भारत सरकार के अधीन काम करती है. यह एक तथ्य है कि भारतीय कानून ने वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक उचित और मजबूत व्यवस्था बनाई है. इसलिए ऐसा बयान देते समय उन्हें इसके प्रभावों और परिणामों पर विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड के बावजूद इस देश में बड़ी संख्या में वक्फ जमीनों पर सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों का कब्जा है. इस संबंध में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 27 नवंबर 2024 को संसद में माना था कि 58,929 वक्फ संपत्तियां अतिक्रमण का शिकार हैं। वह संसद में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा दिए गए बयान का हवाला दे रहे थे।
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