
Maharashtra : कैबिनेट विस्तार को लेकर महायुति में चल रही खींचतान अब खत्म होती दिख रही है। महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार का दिन तय हो गया है। यह माना जा रहा है कि शिंदे गुट जिस कैबिनेट मंत्रालयों पर अड़ा हुआ था उसे मना लिया गया है। देवेंद्र फडणवीस कैबिनेट नागपुर में शपथ लेगी और इसमें 32 विधायक शामिल हो सकते हैं।
महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार को लेकर महायुति में खटपट की अटकलों पर जल्द विराम लगने वाला है। दरअसल, बीजेपी के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार का दिन तय हो गया है।
43 सदस्य हो सकते हैं
माना जा रहा है कि शिंदे गुट जो गृह मंत्रालय और कुछ बड़े कैबिनेट मंत्रालयों पर अड़ा हुआ था, उसे मना लिया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 15 दिसंबर को महाराष्ट्र सरकार का कैबिनेट विस्तार होगा। नए मंत्री नागपुर में एक समारोह में पद की शपथ लेंगे। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए बताया कि 30 से 32 मंत्री शपथ ले सकते हैं।
देवेंद्र फडणवीस ने पांच दिसंबर को मुंबई में एक भव्य समारोह में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और एनसीपी प्रमुख अजित पवार के साथ मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। महाराष्ट्र में मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित कुल 43 सदस्य हो सकते हैं।
बंगले पर गहन विचार-विमर्श
इस बीच राज्य बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने शुक्रवार को कैबिनेट गठन को अंतिम रूप देने के लिए उपमुख्यमंत्री शिंदे और अजित पवार से अलग-अलग मुलाकात की।
सूत्रों ने बताया कि दक्षिण मुंबई में अजित पवार के देवगिरी बंगले पर गहन विचार-विमर्श हुआ, जहां उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं से मुलाकात की। माना जा रहा है कि इस बैठक में अजित पवार ने उन नेताओं का नाम तय किया जिसे मंत्री बनाया जाएगा।
मंत्री पद मिलने की संभावना
सूत्रों ने कहा कि बीजेपी को 20-21 मंत्री पद मिलने की संभावना है, शिवसेना को 11-12 और एनसीपी को 9-10 मंत्री पद मिल सकते हैं। 20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों में महायुति ने राज्य की 288 सीटों में से 230 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की। वही बीजेपी को चुनाव में 132 सीटों मिली, वहीं शिंदे की शिवसेना को 57 और पवार की एनसीपी 41 सीटों पर जीत हासिल कर पाई।
जिस पर बीजेपी सहमत नहीं हुई
सरकार गठन में पहले ही काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल चुके हैं, जिसमें शिंदे ने शीर्ष पद पर देवेंद्र फडणवीस के लिए रास्ता बनाया है। शिंदे पहले सरकार का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे और पार्टी संगठन पर ध्यान केंद्रित करने के इच्छुक थे। हालांकि, बाद में उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए राजी किया गया। शिवसेना ने कई मौकों पर शिंदे को उनके कद के अनुरूप पद दिए जाने की बात कही और गृह विभाग मांगा, जिस पर बीजेपी सहमत नहीं हुई।
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