
Manish Sisodia: जेल से 17 महीने बाद फिर वापस आए दिल्ली शिक्षा क्रांति के नायकसुप्रीम कोर्ट ने एक्साइज केस और शराब नीति के कथित घोटाले में 17 महीने से जेल में बंद आप नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आज जमानत दे दी है, दिल्ली की शिक्षा क्रांति के नायक माने जाने वाले मनीष सिसोदिया का हरियाणा और दिल्ली के चुनाव से ठीक बाहर आना एक बड़े परिवर्तन की ओर इशारा कर रहा है।
मनीष सिसोदिया की जमानत से राजनैतिक पंडित अलग अलग अनुमान लगा रहे हैं आपको बता दे की मनीष सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े सीबीआई और ईडी, दोनों केस में राहत मिली है। सीबीआई ने भ्रष्टाचार केस में मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी, 2023 को गिरफ्तार किया था। जबकि ईडी ने 9 मार्च, 2023 में उन्हें एक्साइज केस मामले में गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्होंने 28 फरवरी, 2023 को अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
500 जगहों पर रेड, दर्जनों से पूछताछ के बावजूद नहीं मिला एक भी सबूत
मनीष सिसोदिया के गिरफ्तारी के बाद से ही जांच एजेंसियों द्वारा 500 जगहों पर रेड, दर्जनों से पूछताछ के बावजूद एक भी सबूत नहीं मिला। बता दे की संबंधित मामले की गिरफ्तारी में जल्द जमानत मिलना मुश्किल होता है हालांकि जांच एजेंसियों के पास घोटाले से जुड़े एक सबूत ना होने से सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी
पीएमएलए केस में जमानत मनीष सिसोदिया के लिए बड़ी राहत
आपको बता दे की पीएमएलए कानून के तहत जमानत नहीं मिलती, लेकिन मनीष सिसोदिया पर चल रहे तथाकथित घोटाले में एक भी सबूत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी। बता दे की कोरोना के दौरान दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति लागू की थी। इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसी मामले में मनीष सिसोदिया पर शराब विक्रेताओं को रिश्वत देने का आरोप लगा था। ईडी अगस्त 2022 में सीबीआई द्वारा दर्ज मामले के संबंध में पीएमएलए के तहत एक्साइज केस के एक मामले की जांच कर रही थी ।
क्या मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के पीछे बड़ी राजनीतिक साजिश ?
मनीष सिसोदिया के केस में सबूत न मिलना और उनके गिरफ्तारी के पीछे बड़ी राजनीतिक साजिश का संदेह साबित होता दिख रहा है, 17 महीने के गिरफ्तारी के बाद मनीष सिसोदिया के दिल्ली के घर से लेकर गांव वाले घर तक जांच एजेंसियों ने रेड की लेकिन इसके बावजूद जांच एजेंसियों को मनीष सिसोदिया से जुड़े पर्याप्त सबूत नहीं मिला मनीष सिसोदिया के घरवालों से भी पूछताछ की गई और अन्य आम आदमी पार्टी के नेताओं से लगातार पूछताछ की गई थी। पूरे प्रकरण के बाद साफ इशारा होता है कही न कही मनीष सिसोदिया को राजनीतिक द्वेष और आम आदमी पार्टी की छवि को खराब करने के लिए गिरफ्तार किया गया था
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को बेल देने से पहले क्या कहा ?
सुप्रीम कोर्ट ने दरअसल मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर 6 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने फैसला मनीष सिसोदिया के पक्ष में सुनाया है फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष को लंबे समय से जेल में रखा गया है. बिना सजा के किसी को इतने लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि शीघ्र सुनवाई का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता का एक पहलू है। बेंच ने कहा कि सिसोदिया को शीघ्र सुनवाई के अधिकार से वंचित किया गया है। कोर्ट ने कहा की जमानत को सजा के तौर पर नहीं रोका जा सकता और निचली अदालतों को यह समझने का समय आ गया है कि ‘जेल नहीं, जमानत’ ही नियम है।
17 महीने से गिरफ्तार थे सिसोदिया, ट्रायल में देरी से सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
मनीष सिसोदिया के गिरफ्तारी के बाद से लंबे समय तक ट्रायल में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लेते हुए कहा कि जांच एजेंसियों ने त्वरित सुनवाई के अधिकार का उल्लंघन किया है और त्वरित सुनवाई का अधिकार स्वतंत्रता का एक पहलू है। अपने कड़े शब्दों वाले आदेश में, आदेश देने वाली पीठ ने कहा कि मनीष सिसोदिया 17 महीने से हिरासत में हैं और सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है, जिससे वह त्वरित सुनवाई के अधिकार से वंचित हो गए हैं। पीठ ने कहा कि इन मामलों में जमानत मांगने के लिए उन्हें निचली अदालत में भेजना भी न्याय का मजाक होगा।
जमानत याचिका को लेकर निचली अदालत का दरवाजा खटखटाना सांप सीढ़ी को होगा खेल
सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसियों को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि मनीष सिसोदिया ने 17 महीने जेल में काटे हैं, लेकिन ट्रायल में देरी होना अन्यायपूर्ण हैं इस सिलसिले में कोर्ट ने संविधान के अनुसार उन्हें किसी भी सूरत में जेल में रखना ठीक नहीं, इसके साथ कोर्ट ने कहा कि जमानत याचिका कोई सांप सीढ़ी का खेल नहीं जो ऊपरी अदालत छोड़कर उन्हें निचली अदालत में भेजा जाए.
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