
Mangala Gauri Vrat : सावन के महीने में मंगला गौरी व्रत की हिन्दू धर्म में विशेष मान्यता है. इस व्रत को कुंवारी कन्याएं और सुहागिन महिलाएं दोनों की रख सकती हैं. मान्यता के अनुसार इस व्रत का महिलाओं के जीवन में खासा महत्व माना गया है. कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है तो वहीं कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर मिलता है.
आज सावन का मंगलवार है. अर्थात आज के दिन महिलाएं और कन्याएं इस व्रत को रखती हैं. इस दिन मां पार्वती और देवों के देव भगवान शंकर की आराधना की जाती है. कहा जाता है कि यदि किसी महिला का पारिवारिक जीवन कष्टमय चल रहा है या किसी कन्या की शादी में बाधा आ रही है तो इस दिन विशेष उपाय करने से भी इन बाधाओं से मुक्ति मिलती है. इस बार सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत 6 अगस्त को रखा जाएगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यदि विवाह में अड़चन आ रही है तो इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को मसूर की दाल और लाल रंग का कपड़ा दान में देना चाहिए. वहीं कुडंली के मंगल दोष से मुक्ति के लिए मंगला गौरी का व्रत करें. भगवान शंकर-माता पार्वती और हनुमान जी की आराधना करें. पूजन के समय ‘ॐ गौरी शंकराय नमः’ मंत्र का 21 बार जाप करें. विवाह में देरी पर माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें.
आखिर क्यों रखा जाता है मंगला गौरी का व्रत
पुराणों की मान्यतानुसार एक व्यापारी और उसकी स्त्री प्रभु की कृपा से सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे. लेकिन उनके कोई संतान न थी. प्रभु की कृपा से काफी समय बात उन दोनों को एक पुत्र की प्राप्ति हुई. ज्योतिष के अनुसार उस पुत्र की आयु अल्प थी. सर्पदंश से उसकी मृत्यु बताई गई. इससे उसके माता पिता बहुत चिंतित रहने लगे. सौभाग्य से उनके बेटे का विवाह हो गया. बेटे का विवाह जिस कन्या से हुआ उसकी माता मंगला गौरी का व्रत करती और नित्य पूजा पाठ करती. माता को प्रभु से अपनी पुत्री के लिए अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिला. इससे व्यापारी के बेटे की आयु बढ़ी और वह लंबी आयु तक जीवित रहा. यहीं से मंगला गौरी व्रत की महत्ता और मान्यता बढ़ी. इसी मान्यता के अनुसार सनातनी परंपरा के लोग इस व्रत के महात्म को मानने लगे और प्रभु कृपा के लिए इस व्रत को रखने लगे.
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