
Attack on Hindi Khabar Reporters: हिन्दी ख़बर न्यूज चैनल की पत्रकार प्रिया राणा और टीम पर भू माफिया राजेश यादव और उसके गुर्गों द्वारा किए गए हमले में हिन्दी ख़बर की मुहिम रंग लाई है. अब इस मामले में पुलिस ने लूट और लज्जा भंग की धारा को बढ़ाया है. वहीं अभी तक मुख्य आरोपी राजेश यादव और अनिल यादव की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है. दूसरी ओर भू माफिया राजेश यादव ने कोर्ट में जमानत याचिका दायर कर दी है.
बता दें इस मामले में पुलिस ने पहले यह धाराएं नहीं लगाई थीं. जबकि पीड़ित पत्रकार के बयान 164 के तहत पहले ही कोर्ट में दर्ज हो चुके थे. इस हमले के मामले में गाजियाबाद की बेब सिटी थाना पुलिस को जरूरी साक्ष्य भी हिन्दी ख़बर की ओर से दिए गए थे. पुलिस इस मामले में हीला हवाली करती रही. मामला दर्ज करते समय इन धाराओं को नहीं जोड़ा था. अब हिन्दी ख़बर की मुहिम के बाद इन धाराओं को जोड़ा गया है.
हिन्दी ख़बर के इनपुट एडिटर सौरभ उपाध्याय ने बताया कि इन धाराओं को जोड़ना हिन्दी ख़बर की मुहिम की जीत है लेकिन यह धाराएं पहले दिन ही पुलिस को लगानी चाहिए थीं. अगर ये धाराएं पहले दिन ही लगाई जातीं तो शायद इस मामले में पकड़े गए आरोपियों को जमानत नहीं मिलती.
पुलिस की कार्यप्रणाली लचर नजर आर रही है. बयान और साक्ष्य देने के इतने समय बाद यह धाराएं जोड़ी गई हैं. इन धाराओं को शुरू में ही लगाना चाहिए था लेकिन मुलजिमों को राहत देने के इरादे से इन धाराओं को उस वक्त नहीं जोड़ा गया. अब इस मामले में कोर्ट में यदि पीड़ित पक्ष के वकील जिरह करते हैं तो गाजियाबाद पुलिस को इस मामले में समय से अपने कमेंट उपलब्ध कराने होंगे. जिससे पीड़ित पक्ष के वकील इस मामले में बिंदुवार जिरह कर सकें.
उन्होंने कहा कि पिछली बार देखा गया था कि पुलिस ने अपने कमेंट अंतिम समय में देने शुरू किए थे. तब तक माननीय कोर्ट अपना ऑर्डर लिखना शुरू कर चुकी थी. कमेंट के सही समय से न पहुंचने के कारण पीड़ित पक्ष के वकील कोर्ट के सामने अपनी बात को ठीक ढंग से नहीं रख पाए थे. ऐसे में कोर्ट की सुनवाई में यह कमेंट बहुत अहम होते हैं. देखना यह होगा कि कोर्ट में पुलिस अब इन कमेंट को कैसे पेश करती है. वहीं अभी भी दोनों मुख्य आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं.
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