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वन रैंक-वन पेंशन के खिलाफ पुनर्विचार याचिका हुई खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को लगाई फटकार

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सरकार की 2015 में आई वन रैंक-वन पेंशन की योजना फिर एक बार सुर्खियों में बनी हुई है। आपको बता दें कि मिली जानकारी के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने उस पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है, जो कि भारत सरकार की योजना वन रैंक वन पेंशन को बरकरार रखने के फैसले पर दायर की गई है। इसी सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस फैसले में न तो कोई संवैधानिक कमी है और न ही यह मनमाना फैसला है। आपको बता दें कि मिली जानकारी के मुताबिक न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि पुनर्विचार याचिका में कोई दम नहीं है।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खुली अदालत में समीक्षा याचिका को सूचि के आधार पर तैयार करने के अनुरोध को खारिज किया जाता है। हमने पुनर्विचार याचिका और इससे जुड़े दस्तावेजों को ध्यान से देखा है। हमें समीक्षा याचिका में कोई दम नहीं दिखा और उसी के अनुसार इसे खारिज किया जाता है। बता दें तीनों सेनाओं के प्रमुखों को 7 नवंबर 2015 को सरकार की तरफ से जारी पत्र में वन रैंक-वन पेंशन को समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक में सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र सेवा कर्मियों को एक जैसी पेंशन के रूप में परिभाषित किया गया है। इसके लिए चाहें सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो।

सूत्रों के हवाले से मिली खबर के हिसाब से कहा तो ये भी गया है कि समय-समय पर वर्तमान और पिछले पेंशनभोगियों की पेंशन की दर के बीच बनी खाई को इससे सही किया जा सकेगा। हालांकि याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि ओआरओपी पॉलिसी को लागू करते समय समान सेवा अवधि वाले कर्मचारियों के लिए ‘वन रैंक मल्टीपल पेंशन’ से बदल दिया गया है।

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रिपोर्ट: निशांत

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