…मुकम्मल कर दो इस चाहत को, दिखा दो दुनिया कैसी है
आँखें नहीं तो क्या हुआ, हमारी चाहत भी तुम्हारे जैसी है,
मुकम्मल कर दो इस चाहत को दिखा दो दुनिया कैसी है।
एक शायर का यह शेर नेत्रहीन लोगों के दिलों में छुपी चाहत को बयां करने के लिए सटीक है। पटना जू 50 साल पूरे होने पर उनकी यह चाहत काफी हद तक साकार करने जा रहा है। दरअसल इस जू में एशिया का दूसरा ब्रेल कॉरिडोर बनने जा रहा है। आपको बता दें कि पहला ब्रेल कॉरिडोर लखनऊ के जू में है। पटना जू में ब्रेल लाइब्रेरी के साथ-साथ ब्रेल इन्फॉर्मेशन सिस्टम लगाया जाएगा। इस सिस्टम से नेत्रहीन भी चिड़ियाघर का आनंद उठा सकेंगे। लखनऊ जू ब्रेल कॉरिडोर का मॉडल मीत वेलफेयर फाउंडेशन के प्रेसिडेंट रोहित कुमार मीत ने तैयार किया था। इसी संस्था को पटना जू में भी यही जिम्मा सौंपा गया है।
लाइब्रेरी में उठा सकेंगे गजल संग्रह का आनंद
रोहित कुमार मीत बताते हैं कि ब्रेल कॉरिडोर में ब्रेल इन्फॉर्मेशन बोर्ड लगाए जाते हैं। कॉरिडोर में बोर्ड पर एक साथ जू के सभी वन्य जीव जंतुओं की जानकारी ब्रेल लिपि में दर्ज होती है। इसके बाद वह जानवरों के बाड़े के सामने लगे ब्रेल बोर्ड से संबंधित जानवर की पूरी जानकारी पढ़ सकते हैं। पटना जू की लाइब्रेरी में देश के जाने-माने शायरों और कवियों की कविता और गजलों का संग्रह ब्रेल लिपि में होगी। मीत वेलफेयर के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में नेत्रहीनों का आंकड़ा 16 लाख के पार होगा।
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