सभी के विकास के लिए हो जातिगत जनगणना, देश की एकता को नहीं पहुंचे नुकसान : आरएसएस

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New Delhi : बिहार में हुए जातीय सर्वे के बाद से ही जातिगत जनगणना की मांग ने जोर पकड़ना शुरू कर दिया है। इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कहा है कि उसका मानना है कि इसका उपयोग सर्वांगीण विकास के लिए किया जाए। मगर, ऐसा करते वक्त सामाजिक समरसता और एकता को नुकसान नहीं पहुंचे। कांग्रेस पार्टी समेत विपक्षी दलों की तरफ से देश में जातिगत जनगणना की मांग की जा रही है।

जातिगत जनगणना बनेगा मुद्दा या बन चुका है?

जातिगत जनगणना एक ऐसा मुद्दा है, जिसके जरिए विपक्ष भाजपा पर बढ़त बनाना चाहता है। कांग्रेस ने 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कहा था कि उसकी सरकार बनने पर वह जातिगत सर्वे करवाएगी। ऐसे में इस बात की भी पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन के चुनावी वादे में जातिगत जनगणना का मुद्दा रहने वाला है।

सुनील आंबेकर ने क्या कहा?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर की तरफ से एक बयान जारी किया गया है। इसमें बताया गया है कि आरएसएस की जातिगत जनगणना पर क्या राय है। आरएसएस के बयान में कहा गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ किसी भी प्रकार के भेदभाव और विषमता से मुक्त समरसता एवं सामाजिक न्याय पर आधारित हिंदू समाज के लक्ष्य को लेकर सतत कार्यरत है। यह सत्य है कि विभिन्न ऐतिहासिक कारणों से समाज के अनेक घटक आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़ गए।

संघ पूर्ण समर्थन करता है

बयान में आगे कहा गया कि उनके विकास, उत्थान एवं सशक्तिकरण की दृष्टि से विभिन्न सरकारें समय-समय पर अनेक योजनाएं एवं प्रावधान करती हैं, जिनका संघ पूर्ण समर्थन करता है। पिछले कुछ समय से जाति आधारित जनगणना की चर्चा दोबारा शुरू हुई है।

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