नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को दिल्ली स्थित हेराल्ड हाउस में रेड किया। दिल्ली, कोलकाता समेत 12 ठिकानों पर ईडी की छापे की कार्रवाई चल रही है। ।गौरतलब है कि इस मामले में पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी पूछताछ हो चुकी है। दस्तावेजों की तलाश में नेशनल हेराल्ड के ठिकानों पर ईडी के छापे मारे। इस दौरान दस जनपथ पर हुई बैठक के दस्तावेजों की भी तलाश की जा रही है।
बताया जा रहा है कि नेशनल हेराल्ड दफ्तर में सिक्योरिटी गार्ड के अलावा कोई भी मौजूद नहीं है। उधर, कांग्रेस सांसद उत्तर रेड्डी ने ईडी के छापेमारी को लेकर कहा है कि यह चौंकाने वाला है। यह राजनीतिक बदले के अलावा कुछ भी नहीं है।
वहीं राहुल गांधी ने इस छापेमारी से थोड़ी देर पहले एक पोस्ट साझा किया जिसमें उन्होंने मंहगाई को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने पोस्ट में कहा कि ना हम डरेंगे, ना डरने देंगे।
National Herald Case क्या है?
यह पूरा मामला नेशनल हेराल्ड नाम के अखबार से जुड़ा है, जो आजादी से पहले का अखबार रहा है। इस अखबार के प्रकाशन का जिम्मा प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited) नाम की कंपनी के पास था। इस अखबार की शुरुआत 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने की थी। शुरुआत से इस कंपनी में कांग्रेस और गांधी परिवार के लोग हावी रहे. करीब 70 साल बाद 2008 में घाटे की वजह से इस न्यूज पेपर को बंद करना पड़ा। तब कांग्रेस ने एजेएल को पार्टी फंड से बिना ब्याज का 90 करोड़ रुपए का लोन दिया। फिर सोनिया और राहुल गांधी ने ‘यंग इंडियन’ नाम से नई कंपनी बनाई। यंग इंडियन को एसोसिएटेड जर्नल्स को दिए लोन के बदले में कंपनी की 99 फीसदी हिस्सेदारी मिल गई। यंग इंडियन कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी की हिस्सेदारी है। वहीं बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था।