
Lateral entry issue : भारत सरकार की ओर से लेटरल एंट्री विवाद के बाद अब इन भर्तियों पर रोक लगा दी गई है. इस संबंध में भारत सरकार के केंद्रीय कर्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चैयरमेन को एक पत्र लिखा है. अब इस मुद्दे पर राजनीतिज्ञों की प्रतिक्रिया भी आई है. राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे, मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताक़त ही हरा सकती है. वहीं इस मुद्दे पर अखिलेश यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है.
‘गठबंधन के सभी साथियों और कांग्रेस के बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को बधाई’
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट किया कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे। भाजपा की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे। मैं एक बार फिर कह रहा हूं – 50% आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे।
भारत की जनता ने संविधान और लोकतंत्र को बचा लिया है। देश की वंचित और गरीब आबादी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए INDIA के साथ खड़ी हो गयी। गठबंधन के सभी साथियों और कांग्रेस के बब्बर शेर कार्यकर्ताओं को बधाई।
‘भाजपा के आरक्षण छीनने के मंसूबों पर पानी फेरा’
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमज़ोर वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने भाजपा के आरक्षण छीनने के मंसूबों पर पानी फेरा है। Lateral Entry पर मोदी सरकार की चिट्ठी ये दर्शाती है कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताक़त ही हरा सकती है। राहुल गांधी, कांग्रेस और INDIA पार्टियों की मुहिम से सरकार एक क़दम पीछे हटी है, पर जब तक BJP-RSS सत्ता में है, वो आरक्षण छीनने के नए-नए हथकंडे अपनाती रहेगी। हम सबको सावधान रहना होगा। बजट में मध्यम वर्ग पर किया गया Long Term Capital Gain/ Indexation वाला प्रहार हो, या वक़्फ़ बिल को JPC के हवाले करना हो, या फिर Broadcast Bill को ठंडे बस्ते में डालना हो – जनता और विपक्ष की ताक़त देश को मोदी सरकार से बचा रही है।
‘भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे’
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यूपीएससी में लेटरल एन्ट्री के पिछले दरवाज़े से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साज़िश आख़िरकार पीडीए की एकता के आगे झुक गयी है। सरकार को अब अपना ये फ़ैसला भी वापस लेना पड़ा है। भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, ये PDA में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है। इन परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी ‘लेटरल भर्ती’ के ख़िलाफ़ 2 अक्टूबर से शुरू होनेवाले आंदोलन के आह्वान को स्थगित करती है, साथ ही ये संकल्प लेती है कि भविष्य में भी ऐसी किसी चाल को कामयाब नहीं होने देगी व पुरज़ोर तरीके से इसका निर्णायक विरोध करेगी। जिस तरह से जनता ने हमारे 2 अक्टूबर के आंदोलन के लिए जुड़ना शुरू कर दिया था, ये उस एकजुटता की भी जीत है। लेटरल एंट्री ने भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है।
विज्ञापन पर रोक के लिए यूपीएससी के चेयरमेन को लिखा पत्र
वहीं भारत सरकार के केंद्रीय कर्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चैयरमेन को पत्र में लिखा कि हाल में भारत सरकार की ओर से लेट्रल एंट्री को लेकर एक विज्ञापन जारी किया गया था. व्यापक मूल्यांकन के बाद इस भर्ती पर रोक लगा दी गई है.
वहीं उन्होंने यह भी कहा कि लेटरल एंट्री को दूसरे प्रशासनिक आयोग द्वारा समर्थन दिया गया था, इसका गठन 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में किया गया था. साथ ही उन्होंने लिखा कि 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों में भी इसका समर्थन किया गया था.
‘2014 से पहले एडहॉक पर अधिकांश लेटरल एंट्री की गईं’
वहीं कहा गया कि कि तत्कालीन सरकार (यूपीए) के तहत विभिन्न मंत्रालयों में सचिव, यूआईडीएआई के नेतृत्व आदि जैसे महत्वपूर्ण पद आरक्षण की किसी भी प्रक्रिया का पालन किए बिना लेटरल एंट्री की गई. 2014 से पहले एडहॉक(तदर्थ) तरीके से अधिकांश लेटरल एंट्री की गई थीं. इसमें कई पक्षपात के मामले भी शामिल थे.
‘सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ जोड़ा जाना चाहिए’
पत्र में कहा कि हमारी सरकार के प्रयास इस प्रक्रिया को संस्थागत रूप से संचालित, पारदर्शी और खुला बनाने के रहे हैं। माननीय प्रधानमंत्री का दृढ़ विश्वास है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया को हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के साथ जोड़ा जाना चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में।
‘आरक्षण हमारे सामाजिक न्याय ढांचे की आधारशिला’
कहा गया कि माननीय प्रधान मंत्री के लिए, सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण हमारे सामाजिक न्याय ढांचे की आधारशिला है। यह महत्वपूर्ण है कि सामाजिक न्याय के प्रति संवैधानिक जनादेश को बरकरार रखा जाए ताकि हाशिए पर रहने वाले समुदायों के योग्य उम्मीदवारों को सरकारी सेवाओं में उनका उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
‘समीक्षा और सुधार की आवश्यकता’
पत्र में कहा गया कि चूंकि इन पदों को विशिष्ट माना गया है और एकल-संवर्ग पदों के रूप में नामित किया गया है, इसलिए इन नियुक्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने पर माननीय प्रधान मंत्री के फोकस के संदर्भ में इस पहलू की समीक्षा और सुधार की आवश्यकता है। इसलिए, मैं यूपीएससी से 17.8.2024 को जारी लेटरल एंट्री भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने का आग्रह करता हूं। यह कदम सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति होगी।
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