
Vice President: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि संसद भारत के संविधान की एकमात्र वास्तुकार है और न तो न्यायपालिका और न ही कार्यपालिका इसके मामलों में हस्तक्षेप कर सकती है। उन्होंने आगे कहा, “जब संविधान सभा द्वारा संविधान विकसित किया गया था, तो संदेश जोरदार और स्पष्ट था…यह संसद के विशेष क्षेत्र में है और किसी अन्य एजेंसी को छोड़कर केवल संसद ही संविधान की निर्माता है… चाहे वह कार्यपालिका हो या न्यायपालिका।” उपराष्ट्रपति ने बताया, संसद सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को नहीं लिख सकती और इसी तरह, सर्वोच्च न्यायालय हमारे लिए किसी कानून को नहीं बना सकता।
Vice President: लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करती है संसद
उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा, “संसद लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करती है और लोग एक वैध तंत्र के माध्यम से वहां मौजूद हैं। संविधान के एकमात्र वास्तुकार के रूप में संसद की सर्वोच्चता है और कार्यपालिका या न्यायपालिका द्वारा हस्तक्षेप के लिए उत्तरदायी नहीं है। न्यायपालिका भी तब जीवित रहती है जब इसे संसद द्वारा पवित्र किया जाता है। लोगों का जनादेश लोगों की इच्छा में किसी भी घुसपैठ की इजाजत नहीं दे सकता।”
संविधान दिवस के मौके कर रहे थे संबोधित
उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय में संविधान दिवस समारोह के दौरान बोलते हुए यह टिप्पणी की, ‘’डॉ. बीआर अंबेडकर ने कभी नहीं सोचा था कि संसद की शक्तियों में घुसपैठ हो सकती है और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि किसी भी अंग का अपमान न हो’’। उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि विधायिका को कानून बनाने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, कार्यपालिका को किसी भी कानून को लागू करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए और न्यायपालिका को कानूनों की व्याख्या करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।
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