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पिता ने कर्ज़ लेकर दिलाया तीर- कमान, बेटी देश के लिए जीत रही गोल्ड

अदिति स्वामी कुछ दिन पहले तक यह नाम किसी ने सुना तक नहीं होगा, लेकिन आज 17 साल की अदिति देश का गौरव बन गई हैं। उन्होंने जर्मनी के बर्लिन शहर में चल रही वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप में इंडिविजुअल गोल्ड जीता। यह चैंपियनशिप में भारत का पहला इंडिविजुअल गोल्ड है।

 इससे पहले, वह एक दिन पहले वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप में भारत को 92 साल के इतिहास में पहला गोल्ड दिलाने वाली भारतीय कंपाउंड महिला टीम का भी हिस्सा रहीं। 1931 में शुरू हुए टूर्नामेंट इतिहास में भारत ने पहली बार इस चैंपियनशिप का गोल्ड जीता है।

महाराष्ट्र के सतारा की साधारण सी लड़की अदिति वर्ल्ड चैंपियनशिप के एक सीजन में 2 कैटगरी में वर्ल्ड चैंपियन बनने वाली दुनिया की पहली तीरंदाज हैं। वह अंडर-18 (कैडिट) कैटेगरी में भी वर्ल्ड चैंपियन हैं। आज भारत की स्टार एथलीट बन चुकीं अदिति की सफलता के पीछे कई वर्षों की मेहनत और संघर्ष छिपे हैं। उनके पास कभी इक्विपमेंट खरीदने के पैसे नहीं थे, तब पिता ने लोन लेकर धनुष दिलाया!

5 साल की अदिति पिता गोपीचंद के साथ सतारा में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप देखने गई थीं और वहां कंपाउंड आर्चरी देखकर तीर चलाने की जिद पकड़ ली। पहले तो पिता ने मना किया। उसके बाद जिद के आगे हार मान बैठे। यह पूरा वाकया वहां खड़ा एक कोच देख रहा था।

उसने गोपीचंद से अदिति से आर्चरी सिखाने को कहा, लेकिन गोपीचंद के पास इक्विपमेंट खरीदने तक के पैसे नहीं थे। ऐसे में कोच ने अपने धनुष से अदिति को तीरंदाजी सिखाने का प्रस्ताव दिया और गोपी मान गए। यहां से शुरू हुआ अदिति के वर्ल्ड चैंपियन बनने का सफर।

बाद में जब अदिति तीरंदाजी सीख गईं, तो टूर्नामेंट खेलने के लिए इक्विपमेंट नहीं थे। ऐसे में पिता ने बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए लोन लेकर बेटी को धनुष दिलाया। बाद में अदिति मेडल जीतने लगीं और खेलो इंडिया के लिए चुन ली गईं। गोपी गोल्ड जीतने के बाद कहते हैं कि कभी सोचा नहीं था कि बेटी इतना नाम रोशन करेगी!

हम भी चाहें तो अदिति की कहानी और उनके पिता की सोच व त्याग से बहुत कुछ सीख सकते हैं अदिति स्वामी के पिता कहा “कभी सोचा नहीं था कि बेटी इतना नाम रोशन करेगी।”

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