गलत स्वास्तिक निर्माण से हो सकते हैं घातक परिणाम, जानें इसको सही रूप से बनाने के नियम
हिंदु धर्म में स्वास्तिक चिह्न का अलग ही महत्व है। ये खास आकृति वाला चिह्न शुभ कार्य के लिए घरों में बनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार स्वास्तिक चारों दिशाओं के मंगल और शुभ चीजों को आकर्षित करता है। इसे भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है। इसके प्रयोग से समृद्धि, सम्पन्नता, समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है अगर किसी शुभ कार्य में स्वास्तिक को शामिल नहीं किया जाता है तो इससे शुभ कार्य संभव होने की स्थिति कम हो जाती है साथ ही आपको जीवन में भयानक परिणाम से भी जूझना पड़ सकता है।
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सही तरीके से बना हुआ स्वास्तिक जीवन में ला सकता है ढेर सारी सकारात्मक उर्जा
स्वास्तिक ढेर सारी उर्जा का प्रतीक होता है इसकी उर्जा से व्यक्ति की रक्षा होती है। अगर स्वास्तिक का प्रयोग घर, अस्पताल या दैनिक दिनचर्या में किया जाया तो इससे व्यक्ति रोगों और जीवन की चिंताओं से मुक्त रहता है। लेकिन ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि अगर आप स्वास्तिक का प्रयोग गलत तरीके से करते हैं तो इसके परिणाम आप के लिए घातक और बेहद ही खतरनाक हो सकते हैं।
स्वास्तिक प्रयोग करने के सही नियम को जानें
स्वास्तिक की चारों रेखाएं और कोण बिल्कुल सही होने चाहिए और साथ ही ये भी ध्यान रखें कि स्वास्तिक का उल्टा निर्माण आपके लिए बेहद ही घातक और खतरनाक हो सकता है। लाल, नीला और पीला रंग स्वास्तिक निर्माण के लिए बहुत शुभ और अच्छा माना जाता है। अन्य कोई भी रंग से स्वास्तिक निर्माण करना अशुभ हो सकता है।
कैसे करें स्वास्तिक का सही से प्रयोग
अगर आपके घर में कोई दोष है तो लाल रंग के स्वास्तिक बनाने से वो दोष खत्म किया जा सकता है। पूजा स्थल, पढ़ने की जगह या वाहन पर अपने सामने स्वस्तिक बनाएं। एकाग्रता के लिए सोने या चांदी में बना स्वस्तिक लाल धागे में धारण करें। इलेक्ट्रोनिक उपकरणों पर छोटे छोटे स्वस्तिक लगाने से वे जल्दी खराब नहीं होते हैं।
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