Shrimad Bhagwat Geeta : जानें कब लिखी गई थी भगवत गीता, क्या है इसका आधार ?

Shrimad Bhagwat Geeta
Shrimad Bhagwat Geeta : महाभारत भारतीय धार्मिक और दार्शनिक साहित्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसे एक पवित्र उपदेश के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जिसमें भगवान कृष्ण ने अपने भक्त अर्जुन को जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन किया है। तब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देने के लिए अवतरित हुए। इन्हीं उपदेशों से भगवद गीता का जन्म हुआ। गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्म, भक्ति, और योग के माध्यम से जीवन के सभी प्रश्नों का उत्तर दिया।
भगवद गीता का लेखन
भगवद गीता का ऐतिहासिक और साहित्यिक महत्व अत्यधिक है। भगवद गीता की कथा महाभारत के कुरुक्षेत्र के युद्ध मैदान पर आधारित है। यह वह समय था जब अर्जुन युद्ध के मैदान में खड़े अपने कर्तव्यों और धर्म को लेकर संकोच और अवसाद महसूस कर रहे थे। भगवद गीता के लेखन के बारे में ऐतिहासिक और भाषाई साक्ष्यों के आधार पर लगभग 5वीं सदी ईसा पूर्व से 2वीं सदी ईस्वी के बीच लिखा गया माना जाता है।
महाभारत के बारे में माना जाता है कि यह ग्रंथ वेदव्यास द्वारा लिखा गया था। इसके लिखे जाने का समय लगभग 5वीं सदी ईसा पूर्व से 3वीं सदी ईस्वी के बीच माना जाता है। भगवद गीता इस महाकाव्य के एक हिस्से के रूप में विकसित हुई थी। गीता में कृष्ण द्वारा दिए गए उपदेश जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से विचार करते हैं और कर्म, भक्ति और ज्ञान के माध्यम से आत्मा के मोक्ष की दिशा को स्पष्ट करते हैं।
भगवद गीता का प्रभाव भारतीय धार्मिक और दार्शनिक विचारधारा पर आधार्ति है। इसमें वर्णित उपदेश और शिक्षाएँ हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। साथ ही विश्वभर में अनेक दार्शनिकों, विद्वानों और आध्यात्मिको द्वारा सराही गई हैं।
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