केजरीवाल सरकार ने केंद्र से की मांग, देश के अन्य निगमों की तरह ही दिल्ली नगर निगमों को भी फंड दे केंद्र सरकार

केजरीवाल सरकार
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नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने केंद्र से मांग की है कि देश के अन्य निगमों के लिए आवंटित फंड में से केंद्र सरकार दिल्ली के नगर निगमों को भी फंड मुहैया करे। दिल्ली नगर निगमों पर यह जिम्मेदारी है कि वो देश के राजधानी दिल्ली को साफ सुथरा रखें, चमका कर रखें। राजधानी किसी देश के चेहरे की तरह होती है लेकिन आज दिल्ली के नगर निगम फंड की कमी से जूझ रहे हैं। इसलिए केंद्र सरकार जिस तरह से देश के अन्य नगर निगमों को पंड मुहैया कराती है वैसे ही दिल्ली नगर निगमों को भी फंड मुहैया करे। ये बातें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्रीय बजट पहले देश भर के वित्त मंत्रियों की बुधवार को आयोजित बैठक में कही।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बैठक में रखी 6 मांगे

उन्होंने इस बैठक में दिल्ली की 6 महत्वपूर्ण मांगें रखी। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन से दिल्ली सहित सभी राज्यों की आर्थिक व्यवस्था पर भारी असर पड़ा है इसलिए केंद्र सरकार जीएसटी कंपनसेशन को आगे बढ़ाए. साथ ही पिछले 21 साल से केंद्रीय टैक्स में से दिल्ली को सिर्फ 325 करोड़ रुपए मिलता रहा है अब जरुरत है कि केंद्र सरकार इसमें बढ़ोतरी करे। आज से 21 साल पहले सेंट्रल असिस्टेंस दिल्ली के बजट का 5.14 हुआ करता था जो अब घटकर 0.9 फीसदी हो गया है।

देश के अन्य निगमों की तरह ही दिल्ली नगर निगमों को भी फंड दे केंद्र सरकार

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली की तीनों एमसीडी देश की राजधानी दिल्ली में साफ सफाई सहित लोकल हैल्थ और प्राइमरी एजुकेशन का काम देखती है। 15वें फाइनेंस कमिशन में केंद्र सरकार ने लोकल बॉडीज को देने के लिए 2021 से 2026 के बीच में 4 लाख 36 हजार करोड रुपए रखा है। उन्होंने कहा कि अब तक इसमें दिल्ली नगर निगमों को शामिल नहीं किया गया है। इस फंड वितरण में दिल्ली के नगर निगमों को भी शामिल किया जाए क्योंकि दिल्ली नगर निगमों की आर्थिक हालत ठीक नहीं है। दिल्ली को लेकर एक बड़ी नीतिगत विसंगति है उसे दूर करने की जरुरत है।

कोरोना और लॉकडाउन से दिल्ली सहित बाकी राज्यों की आर्थिक हालत खराब, जीएसटी कंपनसेशन आगे बढ़ाए केंद्र

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि जब जीएसटी लागू हुआ था तो प्री जीएसटी स्कीम में हर राज्य अपनी-अपनी चुनौतियों के अनुसार टैक्स को लेकर, बजट को लेकर या रिवेन्यू को लेकर कड़े या नरम फैसले लेता था। अब ये फैसले सामूहिक रुप से लिए जाते हैं। इसमें कई बार बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कोविड-19 वजह से, लाकडाउन की वजह से व्यापार ठप्प रहा। दिल्ली में तो पोलूशन की वजह से भी लाकडाउन का सामना करना पड़ जाता है। तो इन सबको देखते हुए अगर जीएसटी कंपनसेशन आगे नहीं बढ़ाया गया तो निश्चित रूप से सभी राज्यों के लिए सरकारें चलाना मुश्किल होगा।

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