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कैसे Twin Tower मिनटों में बन जाएंगे खंडहर, जानें पूरी वैज्ञानिक तकनीक?

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नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर (Supertech Twin Towers) इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन दोनों टावरों को 28 तारीख को गिराया जाना है। आपको बता दें कि इस काम को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए इंजीनियरों और अन्य कर्मचारियों की एक टीम लगातार काम कर रही है। हर दिन लगभग 200 किलोग्राम विस्फोटक लगाया जा रहा है। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे गिराए जाएंगे ये टावर और उसके पीछे का क्या है वैज्ञानिक आधार

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Implosion करेंगी Twin Tower का काम तमाम

इन दो इमारतों को गिराने के लिए जिस तरीके का इस्तेमाल किया जा रहा है उसे आम भाषा में Implosion कहा जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि इस तरीके का इस्तेमाल तब किया जाता है जब यह कोशिश की जा रही हो कि बिल्डिंग को गिराने पर उसका मलबा बाहर गिरने की बजाय अंदर की ओर ही गिरे और सबकुछ उतनी ही दूरी में सिमट जाए जितनी दूरी में इमारत बनी हुई है। इमारतों को गिराने के लिए विस्फोटक पदार्थों और डेटोनेटर की ज़रूरत होती है लेकिन ये फिल्मों की तरह नहीं होता कि बस बम लगाया और बटन दबाकर काम तमाम हो गया बल्कि इसे तीन Steps से गुजारा जाता है।

कैसे करेगी ये Technology काम?

बिल्डिंग के बीम, कॉलम और स्लैब को चिह्नित (Symbolise) करके उसी के हिसाब से विस्फोटक पदार्थों का इस्तेमाल किया जाएगा। सबसे पहले निचले हिस्से में धमाका किया जाएगा, इसके बाद नीचे से ऊपर की ओर धमाका होगा  और फिर बिल्डिंग के फ्लोर एक के ऊपर एक गिरते चले जाएंगे।

क्यों एक बिल्डिंग दूसरी बिल्डिंग पर नहीं गिरेगी?

 इसके पीछे भी विज्ञान का अहम रोल शामिल है। यहां पर बिल्डिंग के गुरुत्वाकर्षण (Gravatational Force) की भी बेहद अहम भूमिका होता है। गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से ही इमारत ठीक उसी तरह से गिरती है जिस तरह की योजना बनाई गई होती है। इसके लिए इंजीनियरों की टीम बिल्डिंग के कुछ-कुछ हिस्सों को इस तरह से तोड़ देंगे  जिससे कि धमाका करने पर यह बिल्डिंग अपने ही ऊपर गिर पड़ेगी । ऐसा करने के लिए ऊपर से नीचे तक ऐसे पॉइंट चुने जाते हैं जिन पर बिल्डिंग का पूरा भार टिका होता है।

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