भारतीय सरकार के निशाने पर कार्यकर्ता, पत्रकार और आलोचक- ह्यूमन राइट्स वॉच

नई दिल्ली: मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने सरकार पर आरोप लगाया है। ह्यूमन वॉच की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अधिकारी मानवाधिकार या सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सरकार के आलोचकों को चुप कराने के लिए टैक्स चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
सितंबर 2021 यानि कि इस महीने के बीते 16 दिनों के भीतर, सरकारी वित्तीय अधिकारियों ने श्रीनगर, दिल्ली और मुंबई में कई जगहों पर छापेमारी की है। जिसमें पत्रकार, एक अभिनेता और एक मानवाधिकार कार्यकर्ता के घर और कार्यालय पर की गई छापेमारी शामिल है।
रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि छापेमारी की ये कार्रवाई राजनीति से प्रेरित हैं। उनका कहना है कि ये छापेमारी भी केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद से अभिव्यक्ति की आज़ादी और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर की जा रही कार्यवाही का ही एक हिस्सा है।
राजनीति से प्रेरित छापे
“इस क्रम में राजनीति से प्रेरित कई आपराधिक मामले शामिल हैं जिसमें कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, शिक्षाविदों, छात्रों और अन्य के ख़िलाफ़ राजद्रोह तक के मुक़दमा दर्ज किए गए हैं। पिछले कुछ सालों से आलोचकों और मुखर समूहों को निशाना बनाने के लिए विदेशी फंडिंग नियमों और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों का लगातार इस्तेमाल किया गया है।”
आलोचकों को परेशान करने और डराने-धमकाने के इरादे से की गई छापेमारी
ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहती हैं, “भारत सरकार की ओर से लगातार हो रही छापेमारी आलोचकों को परेशान करने और डराने-धमकाने के इरादे से की गई लगती है। यह सीधे तौर पर आलोचकों को चुप कराने की कोशिश के एक पैटर्न को दर्शाती है।”
वो आगे कहती हैं “ये भारत के मूल लोकतांत्रिक संस्थानों और मौलिक स्वतंत्रता को को कमज़ोर करती हैं।”
एडिटर्स गिल्ड और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया जैसे बड़े-बड़े पत्रकार संगठनों ने बार-बार मीडिया की स्वतंत्रता पर हमले ना करने का आह्वान किया है। वो कहते हैं कि यह प्रेस की स्वतंत्रता पर एक खुला हमला है।

सबसे ताजा तरीन घटना में 16 सितंबर को की गई छापेमारी है। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए दिल्ली में एक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के घर और कार्यालय पर छापेमारी की है।
हालांकि छापेमारी के समय मंदर एक फेलोशिप के लिए जर्मनी में थे। बिना उनकी मौजूदगी के इस छापेमारी को अंजाम दिया गया। कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और पूर्व सिविल सेवकों ने छापे की कड़ी निंदा की है।
इससे पूर्व 15 सितंबर को मुंबई में अभिनेता सोनू सूद के आवास और कुछ अन्य जगहों पर इनकम टैक्स के अधिकारी पहुंचे थे।

पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से जानकारी दी थी कि आयकर विभाग ‘एक रियल एस्टेट से संबंधी सौदे की जांच कर रहा है।’
वहीं 10 सितंबर को आयकर विभाग ने कथित कर चोरी की जांच के मामले के तहत न्यूज़लॉन्ड्री और न्यूज़क्लिक के कार्यालयों पर भी छापा मारा था।
कश्मीरी पत्रकारों के घर पर छापेमारी
इसके अलावा 8 सितंबर को जम्मू और कश्मीर में पुलिस ने चार कश्मीरी पत्रकारों- हिलाल मीर, शाह अब्बास, शौकत मोट्टा और अज़हर कादरी के घरों पर छापामारी की थी। साथ ही उनके फोन और लैपटॉप जब्त कर लिए थे।