
Pakistan News: पाकिस्तान अपनी कंगाली के बाद अब अपनी न्यायप्रणाली को लेकर चर्चाओं में है। पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (6 फरवरी) को एक अपनी 44 साल पुरानी गलती को मानते हुए एक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो, जिन्हें 44 साल पहले हत्या का दोषी ठहराए जाने के बाद फांसी दी गई थी, को निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिली थी। सुप्रीम कोर्ट आखिर क्या बोला आइए जानते हैं।
Pakistan News: पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने मानी अपनी गलती
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘देश के पूर्व प्रधानमंत्री को निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिल सका। मुकदमे में निष्पक्ष सुनवाई के बगैर पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी की सजा दे दी गई। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा ने यह अहम आदेश पारित किया।’
यही नहीं, अदालत की नौ जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से पारित आदेश में कहा कि ‘45 साल पहले सैन्य शासन के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री को सजा-ए-मौत तो दी गई, लेकिन उन्हें मुकदमे में निष्पक्ष ट्रायल नसीब नहीं हुआ।’
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की याचिका पर हुई सुनवाई
बता दें कि इस सुनवाई की याचिका राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दर्ज की थी। कोर्ट ने लगभग 13 साल के बाद पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के संस्थापक जुल्फिकार अली भुट्टो की फांसी की सजा वाले तत्कालीन राष्ट्रपति के आदेश की वैधता पर सुनवाई की। गौरतलब है कि साल 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने अपने ससुर जुल्फिकार अली भुट्टो की फांसी को हत्या बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति ईसा ने चीफ जस्टिस बनने के बाद 2023 में इस मुकदमे पर सुनवाई शुरू की।
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