Uttarakhand

Uttarakhand: भू-कानून लागू होने में देरी पर सियासी बवाल, सरकार पर उठे सवाल

राज्य में भू कानून लागू में देरी पर विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। भू कानून पर गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट सितंबर 2022 में ही सरकार को सौंप दी थी। समिति को रिपोर्ट सौंपे सात महीने से अधिक समय हो गया है। लेकिन कानून पर अभी तक सरकार कोई फैसला नहीं ले पाई है। जिस पर विपक्ष सरकार को घेर रहा है।

उत्तराखंड में भू कानून लागू नहीं होने पर विपक्षी कांग्रेस ने सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भू-कानून में संशोधन के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट सितंबर 2022 में मुख्यमंत्री को सौंप दी थी। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इसकी सिफारिशों के अनुसार नया भू कानून बनाए जाने का इंतजार हो रहा है। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बाद उम्मीद थी कि सरकार इसे तत्काल लागू कर देगी।  लेकिन भू कानून में संशोधन के मामले में सरकार जल्दीबाजी नहीं करना चाहती।

इसलिए प्रदेश सरकार सबसे पहले सिफारिशों से संबंधित सभी कानूनी पहलुओं की पड़ताल कर रही है। सरकार कानून के प्रावधानों के लेकर मंथन कर रही है। लेकिन वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सीएम हरीश रावत ने भू कानून लागू होने में देरी को लेकर सवाल उठाए हैं। हरीश रावत ने कहा है कि कानून क्या तब आएगा जब गांव गांव में जमीन बिक जाएगी। प्रदेश कांग्रेस ने भी हरीश रावत के सुर में सुर मिलाते हुए सरकार से पूछा है कि आखिरकार भू कानून लाने में देरी करके क्या सरकार उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है।

वहीं बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को निराधार बताया है। बीजेपी का कहना है कि उत्तराखंड में भू कानून लागू करने में कई विधिक पेंच हैं। जिनके समाधान के बाद ही सरकार नया कानून लाएगी। लेकिन कांग्रेस केवल सियासत करने के लिए सरकार पर सवाल उठा रही है।

राज्य सरकार का इस बात पर भी पूरा जोर है कि भू कानून के प्रावधानों से राज्य में औद्योगिक निवेश किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हो। इसलिए शासन स्तर पर कानून के प्रावधानों पर लगातार मंथन चल रहा है। लेकिन इसमें हो रही देरी से विपक्षी कांग्रेस सरकार पर सवाल खड़े कर रही है।

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