
Bombay HC: वकीलों के संगठन ने अपनी जनहित याचिका में उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ करवाई कर उन्हे पद से हटाने की मांग की है। बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि न्यायपालिका पर दोनों के बयान भारत के संविधान में विश्वास की कमी दिखाते हैं। ऐसे में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए।
ये है मामला
आपको बता दें कि केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1973 के ऐतिहासिक फैसले पर अपना बयान दिया था। उस फैसले में कोर्ट की टिप्पणी पर धनखड़ ने कहा था कि “क्या हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं” इस सवाल का जवाब देना मुश्किल होगा। इसके साथ ही बीते साल 2022 के दिसंबर में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा की अध्यक्षता करते हुए धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनजेएसी अधिनियम को रद्द किए जाने को “लोगों के जनादेश” की अवहेलना बताया था।
वहीं किरेन रिजिजू ने पिछले साल नवंबर में न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली के जरिए अपारदर्शी” और “जवाबदेह नहीं” बताते हुए कहा था कि जब तक सरकार एक वैकल्पिक तंत्र के साथ नहीं आती तब तक उन्हें वर्तमान प्रणाली के साथ काम करना होगा।
न्यायपालिका पर हमले को बताया संविधान पर सीधा हमला
याचिकाकर्ता ने न्यायपालिका पर हमले को संविधान पर सीधा हमला बताया है याचिकाकर्ता का कहना है कि “आचरण न्यायपालिका पर हमले तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के संविधान पर हमला है। न्यायपालिका और संविधान के प्रति इन सभी अपमानजनक बयानों के बावजूद, प्रतिवादी संख्या 1 और 2 के खिलाफ किसी भी संवैधानिक प्राधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।”
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