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Easter Attacks 2019 : ब्रिटिश चैनल के आरोपों की जांच के लिए श्रीलंका करेगा जांच पैनल की नियुक्ती

Easter Attacks 2019 : ब्रिटिश चैनल के आरोपों की जांच के लिए श्रीलंका करेगा जांच पैनल की नियुक्ती

Easter Attacks 2019 : ब्रिटिश चैनल के आरोपों की जांच के लिए श्रीलंका करेगा जांच पैनल की नियुक्ती

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श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने रविवार को घोषणा की, कि वह 2019 ईस्टर आत्मघाती हमलों पर एक ब्रिटिश चैनल द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए एक जांच पैनल की नियुक्ती करेंगे, जिसमें 11 भारतीयों सहित 270 लोग मारे गए थे।

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यूके के चैनल 4 टेलीविजन स्टेशन ने मंगलवार को ‘श्रीलंका के ईस्टर बम विस्फोट – डिस्पैच’ शीर्षक से एक डॉकुमेण्टरी फिल्म प्रसारित की, जिसमें 2019 ईस्टर आत्मघाती बम विस्फोटों को अंजाम देने में खुफिया सेवा प्रमुख मेजर जनरल सुरेश सल्लाय सहित कुछ सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता और मिलीभगत का आरोप लगाया गया। इसने हमलों को राजपक्षे बंधुओं के पक्ष में राजनीतिक परिवर्तन के लिए मजबूर करने के उद्देश्य से किया गया एक “मनगढ़ंत कृत्य” कहा।

श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने किया खुफिया प्रमुख का बचाव
श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने शनिवार 9 सितंबर को देश के खुफिया प्रमुख का बचाव करते हुए कहा, “36 वर्षों तक देश की सेवा करने वाले एक समर्पित वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के खिलाफ हमले की साजिश रचने और हमलावरों की सहायता करने के आरोप की कड़ी निंदा करता हूं।” यह कदम पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा बम विस्फोटों मं3 मेजर जनरल सल्लाय की संलिप्तता से इनकार करने के दो दिन बाद आया और कहा गया कि नवंबर 2019 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए उन्हें हमलों से फायदा हुआ था।
इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) से जुड़े स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) से जुड़े नौ आत्मघाती हमलावरों ने 21 अप्रैल, 2019 को तीन कैथोलिक चर्चों और कई लक्जरी होटलों में विनाशकारी विस्फोटों की एक हिस्से को अंजाम दिया, जिसमें 11 सहित लगभग 270 लोग मारे गए।

इन हमलों के कारण श्रीलंका में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन हुआ। इससे सामने आया कि तत्कालीन अधिकारियों ने भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा हमले पर पूर्व खुफिया जानकारी को नजरअंदाज कर दिया था।
तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और पूरे शीर्ष पुलिस अधिकारियों को पीड़ितों के रिश्तेदारों द्वारा दायर मौलिक अधिकार याचिकाओं की सुनवाई के दौरान अदालत द्वारा मुआवजा देने का आदेश दिया गया था।

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