
New Delhi : शरद पवार ने विपक्षी दलों के इंडिया ब्लॉक के पीएम उम्मीदवार पर बरकरार सस्पेंस के मुद्दे पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर कोई चेहरा पेश न भी किया जाए, तो फर्क नहीं पड़ेगा। शरद पवार ने कहा कि अगर कोई चेहरा सामने नहीं रखा जाए, तो कोई परिणाम नहीं निकलता, ऐसी धारणा सही नहीं है। उन्होंने 1977 के आम चुनाव के बाद मोरारजी देसाई के पीएम बनने का भी जिक्र किया।
शरद पवार ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री रह चुके शरद पवार ने कहा कि अगर 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इंडिया ब्लॉक में शामिल दलों की तरफ से पीएम पद के लिए उम्मीदवार घोषित न किया जाए, तो इसका कोई खामियाजा नहीं भुगतना होगा। 1977 के चुनाव को याद करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष ने कहा कि 1977 के चुनावों में, पीएम के लिए कोई चेहरा पेश नहीं किया गया था। बाद में, मोराराजी देसाई प्रधानमंत्री चुने गए थे। चुनाव से पहले और देसाई के नाम पर कोई चर्चा नहीं हो रही थी।
जनता बदलाव के मूड में हैं
पवार ने कहा कि सत्ताधारी दल को चुनौती देने के लिए एक नई पार्टी अस्तित्व में आई है। ऐसे में कोई चेहरा सामने नहीं भी रखा जाए, तो कोई नुकसान नहीं होगा। पवार ने कहा कि अगर जनता बदलाव के मूड में हैं, तो मतदाता बदलाव लाने के पक्ष में ही अपना फैसला सुनाएंगे। सनद रहे कि मोरारजी देसाई भारत के पहले गैर-कांग्रेसी पीएम थे। देसाई 2 साल से कुछ अधिक समय तक पीएम पद पर रहे। उन्होंने 1977-79 के दौरान देश के पांचवें प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला। 1975 के आपातकाल के बाद जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार का नेतृत्व करने वाले मोरारजी देसाई कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे।
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