
जन्माष्टमी का त्योहार देश भर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इंदौर में जितने भी श्रीकृष्ण मंदिर हैं वहां विशेष तरह से जन्माष्टमी के आयोजन किए जा रहे हैं। यदि इंदौर के यशोदा माता मंदिर की बात की जाए तो इसे करीब 200 साल पुराना माना जाता है। जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में कई प्रकार के आयोजन किए जाते हैं. यहां की रौनक देखते ही बनती है।
इस मंदिर की अपनी खास पहचान और मान्यता है। यहां माता यशोदा भगवान श्रीकृष्ण को गोदी में लेकर बैठी हैं। यह मूर्ति काफी पुरानी मानी जाती है। जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में विशेष तरह से पूजन-अर्चन किया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण और माता यशोदा का यहां अनोखे तरीके से शृंगार किया जाता है।
जन्माष्टमी के दिन यहां खासतौर पर बड़ी संख्या में वे महिलाएं आती हैं जिनकी कोई संतान नहीं हैं। यहां आकर वे महिलाएं माता यशोदा की गोदभराई करती हैं। ऐसा माना जाता है कि माता यशोदा की गोदभराई करने के बाद उस महिला के घर किलकारी गूंजने लगती है।
इस मंदिर को लेकर कई और भी कथाएं प्रचलित हैं। बताया जाता है कि बैलगाड़ी से जयपुर से यशोदा माता की मूर्ति को इंदौर लाया गया था। इस मूर्ति को पूरी तरह हाथों से ही बनाया गया था। इसके साथ ही जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में अलग-अलग तरह के आयोजन होते हैं, जिसमें देशभर के तमाम भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं।
बताया जाता है कि इस मंदिर से कुछ विदेशी भक्त भी जुड़े हुए हैं, जो हर साल जन्माष्टमी के मौके पर यहां आते हैं। वे सभी विदेशी भक्त यहां अलग-अलग तरह के भगवान श्रीकृष्ण के भक्तिगीत गाते हैं और नृत्य करते हैं।
इंदौर में और भी कई श्रीकृष्ण मंदिर हैं जहां पर जन्माष्टमी पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सुबह से शाम तक तमाम भक्त अपनी-अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भजन-कीर्तन करने आते हैं।
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