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विपक्षी महाबैठक में तकरार, AAP का आरोप, अध्यादेश के विरोध के लिए कांग्रेस का इनकार

पटना में हुई विपक्षी दलों की महाबैठक संपन्न हो गई है। इसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्री और विपक्ष के प्रमुख राजनीतिक दलों के सभी राजनेता मौजूद रहे। महाबैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा शामिल हुए। वहीं अब आम आदमी पार्टी की ओर से महाबैठक को लेकर प्रतिक्रिया सामने आ गई है।

बता दें कि आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा राजधानी के लिए लाए गए अध्यादेश के मुद्दे पर कांग्रेस का रूख साफ नहीं है। आप की ओर से कहा गया है कि यदि कांग्रेस अध्यादेश की निंदा नहीं करती है तो आम आदमी पार्टी के लिए आगामी बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा।

आम आदमी पार्टी की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि ‘काले अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में एक निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक महत्वपूर्ण खतरा है। यदि चुनौती न दी गई, तो यह खतरनाक प्रवृत्ति अन्य सभी राज्यों में फैल सकती है, जिसके परिणामस्वरूप लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों से सत्ता छीन ली जा सकती है। इस काले अध्यादेश को हराना जरूरी है।

‘कांग्रेस का रूख स्पष्ट नहीं’

आप की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि ‘पटना में समान विचारधारा वाली पार्टी की बैठक में कुल 15 पार्टियां शामिल हुई, जिनमें से 12 का प्रतिनिधित्व राज्यसभा में है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को छोड़कर, अन्य सभी 11 दलों, जिनका राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है, उन्होंने काले अध्यादेश के खिलाफ स्पष्ट रूप से अपना रुख व्यक्त किया है और घोषणा की है कि वे राज्यसभा में इसका विरोध करेंगे। कांग्रेस, एक राष्ट्रीय पार्टी है, जो लगभग सभी मुद्दों पर एक स्टैंड लेती है। कांग्रेस ने अभी तक काले अध्यादेश पर अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है। कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयों ने घोषणा की है कि पार्टी को इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए।’

आम आदमी पार्टी का कहना है कि कांग्रेस ने अध्यादेश के मुद्दे पर दिल्ली सरकार का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। प्रेस नोट में कहा गया है कि ‘आज पटना में समान विचारधारा वाली पार्टी की बैठक के दौरान कई दलों ने कांग्रेस से काले अध्यादेश की सार्वजनिक रूप से निंदा करने का आग्रह किया। हालाँकि, कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।’

‘कांग्रेस की चुप्पी उसके वास्तविक इरादों पर संदेह पैदा करती है। व्यक्तिगत चर्चाओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी अनौपचारिक या औपचारिक रूप से राज्यसभा में इस पर मतदान से दूर रह सकती है। इस मुद्दे पर कांग्रेस के मतदान से दूर रहने से भाजपा को भारतीय लोकतंत्र पर अपने हमले को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।’

कांग्रेस के रूख के बाद आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया है कि यदि कांग्रेस अध्यादेश को लेकर अपना रूख साफ नहीं करती है तो पार्टी के लिए आने वाली बैठकों में शामिल होना मुश्किल होगा। आप के प्रेस नोट में कहा गया है कि ‘काला अध्यादेश संविधान विरोधी, संघवाद विरोधी और पूर्णतया अलोकतांत्रिक है। इसके अलावा, यह इस मुद्दे पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को उलटने का प्रयास करता है और न्यायपालिका का अपमान है। कांग्रेस की झिझक और टीम प्लेयर के रूप में कार्य करने से इनकार, विशेष रूप से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर, AAP के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना बहुत मुश्किल हो जाएगा जिसमें कांग्रेस भी शामिल है। जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से काले अध्यादेश की निंदा नहीं करती और घोषणा नहीं करती कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे, AAP के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा जहां कांग्रेस भागीदार है। अब समय आ गया है कि कांग्रेस तय करे कि वह दिल्ली की जनता के साथ खड़ी है या मोदी सरकार के साथ।’

प्रेस नोट को आम आदमी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट किया गया है।

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