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SC के फैसले से गदगद हुई AAP सरकार, विकास योजनाएं पकड़ेंगी फुल रफ्तार

सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली मेंअधिकारियों के तबादले और नियुक्ति के अधिकार का फैसला अपने पक्ष में आने के बाद केजरीवाल सरकार एक्शन में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना के कानूनी अड़ंगे और केंद्र की मोदी सरकार के दबाव से मुक्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की जनता से कहा है कि ब्यूरोक्रेसी की सड़ी-गली व्यवस्था को अब दुरुस्त किया जा सकेगा। दिल्ली में विकास के काम अब पहले से ज्यादा तेजी से आगे बढ़ेंगे। दिल्ली सरकार के बजट की विकास योजनाएं जो अब तक रुकी हुई थीं उन्हें रफ्तार मिलेगी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब दिल्ली सरकार की कार्य प्रणाली में शानदार बदलाव देखने को मिलेंगे। एलजी और केंद्र सरकार के डर से जो अधिकारी अब तक दिल्ली सरकार का सहयोग नहीं कर रहे थे अब वो सभी वरिष्ठ अधिकारी मंत्रियों की बैठकों में शामिल होंगे और दिल्ली के विकास कार्यों को गति देंगे। नियमों कानूनों की आड़ में दिल्ली सरकार के जो काम रोके जा रहे थे अब तो नहीं रुकेंगे। दिल्ली सरकार के बजट की रुकी हुई विकास योजनाओं को रफ्तार मिलेगी।

गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के रोजगार बजट में कई योजनाओं की घोषणा की थीं। एलजी वीके सक्सेना और अधिकारियों के अड़ंगा डालने की वजह से कई योजनाएं आगे नहीं बढ़ पा रही थी। लेकिन अब उन योजनाओं पर तेजी से काम होगा।

कुछ बड़ी बातों पर नजर डालते हैं:

  • CM अरविंद केरीवाल ने 2022-23 के बजट में कई योजनाओं का ऐलान किया था।
  • दिल्ली में 1400 किलोमीटर की प्रमुख सड़कों के पुनर्विकास की घोषणा की थी।
  • परियोजना में फुटपाथों का रखरखाव, सड़कों के ब्लैकटाप का रखरखाव और मरम्मत शामिल है।
  • LG और अफसरों ने केजरीवाल सरकार की परियोजना में कानूनी अड़ंगा अड़ा दिया था।
  • कारोबार, उद्योग, पर्यटन समेत कई क्षेत्रों में रोजगार सृजित किए जाने का प्लान था।
  • विभागों के कामकाज पर नजर रखने के लिए रोजगार आडिट की योजना बनाई थी।
  • सरकार 5 साल में 20 लाख रोजगार देने की घोषणा पर अमल शुरू नहीं कर पाई थी।
  • रिटेल मार्केट के पुनर्विकास, शापिंग फेस्टिवल जैसी योजनाओं अभी तक अटकी पड़ी हैं।
  • रिटेल और फूड स्पेस योजना, फूड ट्रक पॉलिसी, क्लाउड किचन पालिसी आगे नहीं बढ़ पाई।
  • फूड हब को बढ़ावा देने और गांधीनगर ग्रैंड गारमेंट हब बनाने की योजना अटकी पड़ी रही।
  • नान-कंफर्मिंग अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों के पुनर्विकास का काम शुरू नहीं हो पाया है।

गौरतलब है कि केजरीवाल सरकार अगले पांच साल में रोजगार क्षेत्र में करीब 12 प्रतिशत तक की वृद्धि करना चाहती है। सरकार ने रोजगार पैदा करने के लिए योजनाओं का खाका तैयार किया लेकिन एलजी और अधिकारियों ने उसे धरातल पर नहीं उतरने दिया। सब कुछ कागजों में ही दब कर रह गया। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऐसा नहीं होगा।

अब केजरीवाल सरकार नौकरशाही पर नकेल कस सकेगी। तमाम रुकी हुई योजनाओं को गति मिल सकेगी। दिल्ली में विकास और ज्यादा रफ्तार पकड़ेगा और केजरीवाल सरकार स्वतंत्र रूप से विकास योजनाओं को धरातल पर उतार सकेगी।

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