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केशव प्रसाद मौर्य: जिनके नेतृत्व में बीजेपी ने फतह की यूपी की जंग, बनाई फुल बहुमत की सरकार

केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री हैं। 2014 में वे उत्तर प्रदेश के फूलपुर सीट से चुनाव लड़े और जीते। 19 मार्च 2017 को उन्होंने यूपी के उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस बार वे चुनाव हार गए हैं लेकिन फिर भी उनके डिप्टी सीएम बनने की अटकले तेज हैं।

केशव प्रसाद मौर्य कौशाम्बी के रहने वाले हैं। उनका जन्म सिराथू में मौर्य परिवार में हुआ। उनके माता-पिता कृषि कार्य करते हैं। बचपन में वे अपने अपने माता-पिता के साथ खुद भी खेती किया करते थे। उन्होंने पुराने दिनों में चाय की दुकान चलाई और समाचार पत्र भी बेचा।

राजनीतिक जीवन की शुरुआत केशव प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से हुई। 2002 में माफिया अतीक अहमद के खिलाफ भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा। हालांकि इस चुनाव में वे चौथे स्थान पर रहे थे। उन्हें 7 हजार मत मिला था।

उसके बाद 2007 में फिर से उसी सीट से चुनाव लड़ा लेकिन सफलता नहीं मिली। 2012 में फिर उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और सिराथू से पहली बार विधायक चुने गए। उस समय वह इलाहाबाद मंडल के चारों जिले इलाहाबाद प्रतापगढ़ कौशाम्बी और फतेहपुर से एकलौते भाजपा विधायक चुने गए थे।

2014 में भाजपा ने उन्हें पूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव में उतारा और वह वहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे। फूलपुर लोकसभा सीट पर उन्होंने सपा प्रत्याशी धर्मराज सिंह पटेल को 3 लाख से अधिक वोटों से पराजित किया।

अप्रैल 2016 में बीजेपी ने उन्हें बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद बीजेपी ने 2017 में केशव प्रसाद के नेतृत्व में ही यूपी में प्रचंड जीत हासिल की। चुनाव के बाद यूपी में मुख्यमंत्री पद के लिए उन्हें प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन बाद में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया गया और केशव प्रसाद मौर्य को उपमुख्यमंत्री का पद दिया गया।

केशव प्रसाद मौर्य 18 सालों तक विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और भाजपा में प्रचारक रहे। इसके अलावा उन्होंने गोरक्षा और श्रीराम जन्मभूमि, हिंदू हित के लिए कई आंदोलन किए। 2022 में विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद खबर है कि स्वतंत्र देव सिंह के साथ-साथ केशव मौर्य को भी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है।

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