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क्या हर दिन पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहलाना फायदा है? ओवैसी ने किरेन रिजिजू से पूछे सवाल

Asaduddin Owaisi Statement : किरेन रिजिजू का लेख प्रकाशित हुआ. इसी पर ही (AIMIM) चीफ और हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने निशाना साधा है. ओवैसी ने कहा कि किरेन रिजिजू भारतीय मुसलमानों की असलियत को नहीं दिखा रहे हैं, बल्कि वे भारत के मुसलमानों के मौजूदा सूरत-ए-हाल को नजरअंदाज कर रहे हैं.

ओवैसी ने कहा कि क्या मुसलमानों को हर दिन पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहलाना लाभ ​​है? क्या लिंच किया जाना सुरक्षा है? क्या हमारे घरों, मस्जिदों और मजारों को अवैध रूप से बुलडोजर से ढहाए जाते देखना एक विशेषाधिकार है? सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से अदृश्य बना दिया जाना? क्या भारत के प्रधानमंत्री के नफरत भरे भाषणों का निशाना बनना सम्मान है? भारत के अल्पसंख्यक अब दूसरे दर्जे के नागरिक भी नहीं हैं. हम बंधक हैं.

बुनियादी सेवाओं से सबसे अधिक वंचित

उन्होंने कहा कि भारतीय मुसलमान ही एकमात्र ग्रुप है, जिनके बच्चे अब अपने माता-पिता या दादा-दादी से भी बदतर स्थिति में हैं. अंतर-पीढ़ीगत गतिशीलता उलट गई है. मुस्लिम बहुल क्षेत्र बुनियादी सेवाओं से सबसे अधिक वंचित हैं. हम दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों के साथ तुलना करने की मांग नहीं कर रहे हैं. हम बहुसंख्यक समुदाय को मिलने वाली राशि से अधिक की मांग नहीं कर रहे हैं. हम संविधान की ओर से दिए गए उन वादों की मांग कर रहे हैं, जिसमें सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय शामिल है.

किरेन रिजिजू ने इंडियन एक्सप्रेस ने आर्टिकल में लिखा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यक समुदाय की तुलना में अधिक लाभ और सुरक्षा मिलती है. इसके जवाब में हैदराबाद के सांसद ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, आप एक संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं, साथ ही ये भी लिखा कि अल्पसंख्यकों के अधिकार मौलिक अधिकार हैं, दान नहीं.

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