स्वास्थ्य

भविष्य को बचाने की पहल, जानिए कैसे

पेरासिटामोल (Paracetamol) और ब्रूफेन (ibuprofen) दुनिया की सबसे आम ओवर-द-काउंटर पेन किलर दवाएं हैं. लेकिन इन्हें बनाने के लिए कच्चे तेल की जरूरत होती है. अब, बाथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कागज इंडस्ट्री के वेस्ट प्रोडक्ट्स से दवा बनाने का एक ज्यादा टिकाऊ ईजाद किया है।

 पर्यावरण को नहीं होगा कोई नुकसान जब भी हमें सिर दर्द महसूस होता है, तो हममें से कई लोग बिना यह सोचे कि इसका कारण क्या है, सीधा पेरासिटामोल खा लेते हैं. हम में से कम लोग ही जानते हैं कि कई नॉर्मल फार्मास्यूटिकल्स, जैसे पेरासिटामोल और इबुप्रोफेन  कच्चे तेल से मिले केमिकल का उपयोग करके बनाई जाती हैं।

 जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को कम करने के लिए इसका विकल्प तलाशना बहुत जरूरी है. इन दवाओं का हर साल लगभग 100,000 टन उत्पादन होता है. ऐसे में इतने बड़े लेवल पर खनिजों का उपयोग करने के पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है।

 चीड़ के पेड़ों से लिया केमिकल नई स्टडी में, यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नवीकरणीय स्रोतों से इन दवाओं में जो सामग्री इस्तेमाल होती है वो बनाई. टीम ने बीटा-पिनीन नाम के केमिकल से शुरुआत की, जो तारपीन का ही एक कॉम्पोनेन्ट है. ये चीड़ के पेड़ों से लिया जाता है।

 शोधकर्ताओं ने इसका इस्तेमाल पेरासिटामोल और इबुप्रोफेन को बनाने के लिए किया. इसमें 4-एचएपी कंपाउंड होता है जो इत्र और सफाई उत्पादों के साथ-साथ बीटा ब्लॉकर्स और अस्थमा की दवा बनाने के लिए किया जाता है।

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