68 साल बाद टाटा का हुआ एयर इंडिया, 18000 करोड़ रुपये की बोली के साथ बनी विनिंग बिडर
नई दिल्ली: मुंबई स्थित समूह टाटा संस घाटे में चल रही राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया का अधिग्रहण करेगा। केंद्र ने शुक्रवार को घोषणा की क्योंकि वह अपनी सबसे महत्वाकांक्षी विनिवेश परियोजनाओं में से एक को बंद करना चाहता है। टाटा समूह ने एयर इंडिया के लिए 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई। यह सौदा इस साल दिसंबर के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है।
एयर इंडिया का इतिहास
बता दें एयर इंडिया 68 साल बाद वापस टाटा की होने जा रही है। एयर इंडिया को टाटा ग्रुप ने ही 1932 में टाटा एयरलाइंस नाम से शुरू किया था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान विमान सेवाओं पर रोक लगा दी गई थीं। दोबारा विमान सेवाएं बहाल होने पर 1946 में टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर उसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया। आजादी के बाद 1947 में एयर इंडिया की 49 फीसदी भागीदारी सरकार ने ले ली थी। 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया था।
सचिव तुहिन कांता पांडे ने दी डील की जानकारी
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांता पांडे ने इस डील के बारे में जानकारी देते हुए कहा, सरकार ने साल 2009-10 से लेकर अब तक एयर इंडिया में कैश सपोर्ट के तौर पर 54,584 करोड़ रुपये लगा चुकी है। इसके अलावा 55,692 करोड़ रुपये गारंटी सपोर्ट के तौर पर लगाए हैं। इस तरह सरकार 2009-10 से लेकर अब तक एयर इंडिया में कुल 1,10,276 करोड़ रुपये डाल चुकी है।
सचिव तुहिन कांता पांडे ने आगे कहा, 31 अगस्त 2021 तक एयर इंडिया पर 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था। विनिंग बिडर टाटा सन्स 15,300 करोड़ रुपये का कर्ज वहन करेगी। इसके बाद एयर इंडिया पर 46,262 करोड़ रुपये का कर्ज बचेगा। बाकी 2700 करोड़ रुपये सरकार को नकद में दिए जाएंगे। बता दें टाटा समूह ने एयरएशिया इंडिया के माध्यम से एयर इंडिया के लिए बोली लगाई है।