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‘पाकिस्तान, तालिबान का प्रवक्ता नहीं, न ही उनका जिम्मेदार’- इमरान ख़ान

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने तालिबान को लेकर एक बयान दिया है। पिछले कुछ दिनों से अफ़ग़ानिस्तान से हो रही विदेशी सेना की वापसी पर ख़ान ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सेना की वापसी के बाद तालिबान क्या करता है इसके लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार नहीं होगा।

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान तालिबान का प्रवक्ता नहीं है।

इमरान ख़ान ने ये बातें अफ़ग़ानिस्तान के मीडियाकर्मियों के साथ एक चर्चा के दौरान में कही हैं जिसका प्रसारण गुरुवार को किया गया है। साथ ही इमरान ख़ान ने इसे ट्वीट भी किया है।

गौरतलब है कि उनका ये बयान अमेरिकी टीवी चैनल पीबीएस को दिए इंटरव्यू के एक दिन बाद आया है जिसमें इमरान ख़ान से तालिबान को कथित तौर पर सैन्य, ख़ुफ़िया और वित्तीय मदद देने के बारे में सवाल किया गया था।

लगातार खड़े होते सवालों के बीच इमरान ख़ान ने आज अफ़ग़ानिस्तान में हो रही गतिविधियों से ख़ुद को अलग करते हुए ये बयान दिया। उन्होंने कहा- “हम केवल ये चाहते हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में अमन और शांति रहे।”

उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के सामने केवल दो ही रास्ते थे – या तो वो अमेरिका की मदद से सैन्य समाधान निकालते या फिर एक ऐसा राजनीतिक हल जिसमें सरकार में सबका प्रतिनिधित्व होता।

इस पर आगे उन्होंने कहा, “और उनके पास एकमात्र समाधान दूसरा रास्ता है।”

https://twitter.com/GovtofPakistan/status/1420614148753436673?s=20

सभी शरणार्थियों पर नहीं रखी जा सकती नज़र

इमरान ख़ान ने अफ़गान शरणार्थियों को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में 30 लाख अफ़ग़ान शरणार्थी हैं। जब पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान की इतनी देखभाल कर रहा है तो ऐसे में पाकिस्तान को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

बातचीत के दौरान उन्होंने पूछा, “यहाँ जो शरणार्थी हैं उनमें ज्यादातर पख़्तून के हैं और तालिबान के लिए सहानुभूति भी रखते हैं। उसके बाद जब हर दिन यहाँ से लगभग 30,000 लोग अफ़ग़ानिस्तान जाते हैं तो पाकिस्तान ये कैसे और कितनी जाँच कर सकता है कि कौन वहाँ लड़ने जा रहा है और कौन नहीं?”

इमरान ख़ान ने ये भी कहा कि पाकिस्तान सरकार के लिए ये भी मुमकिन नहीं है कि वो हर शरणार्थी शिविरों में जाकर पता लगाए कि कौन तालिबान समर्थक है और कौन नहीं।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, “हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि तालिबान का समर्थक नहीं हो, पर जब यहाँ 30 लाख शरणार्थी हों तो पाकिस्तान को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”

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