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रूबी आसिफ खान की श्रीराम में अगाध आस्था, घर में की राम दरबार की स्थापना

Shree Ram Bhakt Ruby

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Shree Ram Bhakt Ruby:  नाम रुबी आसिफ खान. प्रेम श्रीराम से. आस्था ऐसी कि घर में ही राम दरबार स्थापित कर लिया। यह कहानी है अलीगढ़ की एक मुस्लिम महिला की। कहती हैं श्रीराम ने उनकी मनोकमना सुन ली। मनोकामना भी ऐसी कि जिसे सुनकर हर राम भक्त का रोम-रोम प्रफुल्लित हो जाए। दरअसल उनकी श्रीराम से प्रार्थना थी कि जल्द से जल्द अयोध्या में श्रीराम का भव्य मंदिर बन जाए।

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Shree Ram Bhakt Ruby:  अगर न्योता आया तो जाएंगी अयोध्या

रुबी आसिफ कहतीं हैं कि प्रभु ने उनकी सुन ली। अब 22 जनवरी अयोध्या के श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम है। अगर न्योता आता है तो जरूर जाएंगी। नहीं तो 22 के बाद परिवार के साथ अयोध्या जाकर श्रीराम के दर्शन करेंगी। 22 जनवरी तक श्रीराम की अनवरत पूजा करती रहेंगी।

घर में गणेश जी और दुर्गा जी की भी प्रतिमाएं

रूबी का कहना है कि जिस तरह से मोदी जी ने भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनवाया है। उसी तरीके से मथुरा में भी श्री कृष्ण का स्थान उन्हें वापस दे दिया जाए। रूबी भाजपा की जयगंज मंडल की उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने घर में गणेश जी प्रतिमा दुर्गा जी की प्रतिमा की स्थापना भी की थी।

‘एक हैं भगवान राम और अल्लाह’

भगवान राम सबके हैं। हम राम के हैं राम हमारे हैं। सबको यह मान लेना चाहिए कि भगवान श्री राम और अल्लाह एक है। कोई अलग नहीं है। कोई अलग नहीं है और मोदी जी ने सबका साथ सबका विकास किया है। कोई भी भेदभाव नहीं किया।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि के लिए भी की यह मांग

मुस्लिम महिला फराह का कहना है कि हम श्री राम की पूजा कर रहे हैं। पहली तारीख से 22 जनवरी तक हमारी पूजा चलती रहेगी। हमारा मकसद सिर्फ यही है कि देश में सुख शांति लाना। अमन-चैन की दुआ करना। हम मथुरा के लिए यही मांग कर रहे हैं कि जैसे अयोध्या में श्रीराम की जगह उनको मिली है ऐसे ही मथुरा में भी श्री कृष्ण की जगह उनको मिले।

मैं फतवे से नहीं डरती- रूबी

रूबी कहती हैं कि मैं मौलाना के निशाने पर रहती हूं लेकिन मैं ऐसे लोगों की बात नहीं मानती जो सही-गलत नहीं समझते। भेदभाव रखते हैं। मैं फतवे से नहीं डरती। भगवान श्रीराम और अल्लाह में कोई फर्क नहीं समझती हूं। इसीलिए मैं दर्शन करने के लिए जाऊंगी और किसी मौलाना की धमकियों से नहीं डरूंगी।

नहीं करेंगे कोई फैसला स्वीकार- उमैर खान

वहीं मुस्लिम समाजसेवी उमैर खान का कहना है कि  वह किसकी पूजा कर रही है यह उसका व्यक्तिगत मसला है। जहां तक शाही ईदगाह, मथुरा का मामला है तो मैं कहना चाहता हूं कि हम किसी भी कीमत पर किसी भी मस्जिद पर अब कोई भी फैसला स्वीकार नहीं करेंगे। उसके लिए कोई भी कुर्बानी देने पड़े। हम ऐसी औरतों को कोई तवज्जो नहीं देते। यह मीडिया की सुर्खियों में बनी रहना चाहती हैं।

‘इस्लाम को ऐसी महिलाओं की जरूरत नहीं’

उन्होंने कहा, हमारे इस्लाम में ये है कि अल्लाह के अलावा किसी को नहीं मानते। यदि कोई अल्लाह के अलावा किसी और को शरीक करता है तो वह मुसलमान नहीं हो सकता है। वह अपने आगे रूबी आसिफ की जगह रूबी राजा लगा लें या अन्य कोई नाम। इनको कोई जरूरत नहीं है कि यह अपने आप को मुसलमान बताएं। यह मुसलमान नहीं है। यह इस्लाम से बाहर हो चुकी है और इनका इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं है। मुसलमान के नाम पर कलंक है। इस्लाम को ऐसी महिलाओं की जरूरत नहीं है।

रिपोर्टः अर्जुन देव वार्ष्णेय, संवाददाता, अलीगढ़, उत्तरप्रदेश

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