
फटाफट पढ़ें
- हजरतबल दरगाह में राष्ट्रीय प्रतीक को नुकसान
- पुलिस ने FIR दर्ज कर जांच शुरू की
- उमर अब्दुल्ला ने प्रतीक लगाने पर सवाल उठाए
- दरख्शां अंद्राबी ने NC पर आरोप लगाए
- महबूबा मुफ्ती ने बोर्ड भंग की मांग की
National Emblem Vandalism : जम्मू-कश्मीर की गर्मियों की राजधानी श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह में शिलापट्ट पर बने राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक चिह्न) को नुकसान पहंचाने के मामले में पुलिस ने शनिवार को एफआईआर दर्ज कर ली. इस घटना के बाद कश्मीर की सियासत में हलचल मच गई.
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दरगाह में इस शिलापट्ट पर ही सवाल खड़े कर दिए और कहा कि प्रतीक चिह्न सरकारी कार्यालयों में लगाए जाने चाहिए न कि धार्मिक स्थलों पर. वहीं पीडीपी समेत अन्य कश्मीर केंद्रित दल खुलकर तोड़ने वालों के समर्थन में खड़े हो गए. इस बीच, बीजेपी ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि वह राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी.
शुक्रवार को राष्ट्रीय प्रतीक को नुकसान पहुंचाया था
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार हजरतबल में शुक्रवार को राष्ट्रीय प्रतीक को नुकसान पहुंचाया गया था. इस संबंध में राष्ट्रीय सम्मान के अपमान, शांति भंग करने, दंगा और आपराधिक साजिश रचने के आरोप में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर संख्या 76/2025 दर्ज की गई है.
तीन सितंबर को हजरतबल दरगाह परिसर का सौंदर्यीकरण के बाद वहां एक शिलापट्ट लगाया गया था. इसमें एक कोने पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न अंकित था. इसका उद्घाटन जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन दरख्शां अंद्राबी ने किया था. पांच सितंबर को जुमे की नमाज के लिए बड़ी संख्या में लोग दरगाह में इकट्ठा हुए थे. इसी दौरान कुछ लोगों ने प्रतीक चिह्न पर पत्थरों से हमला करना शुरू कर दिया. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ है. वीडियो में लोगों की भीड़ नारे तकबीर अल्लाहु अकबर के नारे लगाती नजर आती है. साथ ही “यहां क्या चलेगा, निजामे मुस्तफा” के नारे भी दिए. इसके बाद सियासी माहौल गर्म हो गया.
उमर अब्दुल्ला ने प्रतीक लगाने पर सवाल उठाए
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राष्ट्रीय प्रतीक का इस्तेमाल सिर्फ सरकारी कार्यक्रमों में होता है. मंदिर-मस्जिद या गुरुद्वारों में इस तरह प्रतीक का उपयोग नहीं किया जाता है. मैंने अब तक किसी भी धार्मिक स्थल या आयोजन में ऐसा प्रतीक का इस्तेमाल होते नहीं देखा है. सवाल यह है कि इसे लगाने की जरूरत क्या थी? काम करके दिखाना जरूरी नहीं, अच्छे काम खुद लोगों की नजर में आ जाते हैं, उन्होंने कहा कि हजरतबल दरगाह के लिए मेरे दादा शेर-ए-कश्मीर शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने भी खूब काम किए लेकिन उन्होंने कभी कोई पत्थर नहीं लगवाया. डॉ. अंद्राबी की पीएसए लगाने की मांग पर उमर ने कहा कि जो लोग भावनाओं से खेलते हैं, उन्हें माफी मांगनी चाहिए.
महबूबा मुफ्ती ने बोर्ड भंग की मांग की
वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने कहा कि राष्ट्रविरोधी ताकतें एक बार फिर सक्रिय हो रही हैं. तोड़फोड़ करने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के गुंडे थे और आज भी हैं. इस मामले में सख्त कार्रवाई की जरूरत है, उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम में नेकां के विधायक तनवीर सादिक और उनके समर्थक शामिल हैं. इन्हीं लोगों ने राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ को नुकसान पहुंचाया और उसे वहां से हटाया. ऐसे लोगों पर कानून के मुताबिक सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है.
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह लगाने को आस्थाओं का अपमान बताया, उन्होंने मांग की कि वक्फ बोर्ड को तुरंत भंग किया जाए. साथ ही मुख्यमंत्री से इस मामले में कड़ी कार्रवाई की अपील की.
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