Pushkar Singh Dhami: हारकर जीतने वाले को ‘पुष्कर’ कहते हैं, 6 महीने में ऐसे पलट दी बाजी…
उत्तराखंड (Uttarakhand) में प्रचंड जीत के बाद बीजेपी (BJP) फिर से सरकार बनाने जा रही है. बीजेपी ने दूसरी बार पूर्ण बहुमत प्राप्त किया है. दूसरी बार सत्ता में काबिज होने के बाद बीजेपी में सीएम (CM) के चेहरे को लेकर लगातार सस्पेंस चल रहा था. जो आज सोमवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक में खत्म हो गया. वजह थी सूबे में पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व करने वाले पुष्कर सिंह धामी का चुनाव हार जाना. जिसके बाद यह सस्पेंस लगातार चल रहा था.
6 महीने के कार्यकाल में किया कमाल
देवभूमि में चुनाव अभियान का चेहरा रहे पुष्कर सिंह धामी ने 6 महीने के अपने छोटे से कार्यकाल में ही सरकार बदलने का ट्रेंड पलट दिया लेकिन अपनी सीट नहीं बचा पाए. बता दे कि बीजेपी को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापस लाने में सफल रहे पुष्कर सिंह धामी को खटीमा विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद सीएम पद को लेकर सस्पेंस बन गया.
विधायक दल के चुने गए नेता
आपको बता दे कि, सोमवार को धामी को बीजेपी विधायक दल ने अपना नया नेता चुन लिया. केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने विधायक दल की बैठक के बाद इसका औपचारिक ऐलान कर दिया. अपनी सीट हारने के बावजूद पुष्कर सिंह धामी सीएम पद की रेस में जीत गए हैं. इसके साथ ही उत्तराखंड के नए सीएम को लेकर अटकलों का दौर भी अब थम गया है.
45 साल की उम्र में बने CM
पुष्कर सिंह धामी एक गैर राजनीतिक परिवार से आते हैं. इनके पिता सेना में सूबेदार थे. पिथौरागढ़ के कनालीछिना में साल 1975 में जन्में धामी ने लॉ की डिग्री लेने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ABVP से भी जुड़े रहे. धामी साल 2002 से 2008 के बीच दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी रहे. धामी सीएम बनने से पहले कभी मंत्री भी नहीं रहे थे. 45 साल में प्रदेश के सबसे कम उम्र वाले सीएम बने. धामी को सीएम के रूप में कार्य करने के लिए केवल 6 महीने का ही समय मिला.