संसद: इसरो ने सुनहरे अक्षरों में लिखा देश के गौरव का इतिहास,समस्या का समाधान करने में सक्षम है भारत

संसद: इसरो ने सुनहरे अक्षरों में लिखा देश के गौरव का इतिहास,समस्या का समाधान करने में सक्षम है भारत

संसद: इसरो ने सुनहरे अक्षरों में लिखा देश के गौरव का इतिहास,समस्या का समाधान करने में सक्षम है भारत

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राज्यसभा ने बुधवार 20 सितंबर को चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए भारतीय वैज्ञानिकों, विशेषकर महिलाओं को बधाई देने वाला एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। भारत के गौरवशाली अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के मुद्दे पर उच्च सदन में सात घंटे से अधिक समय तक बहस हुई। केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा नेता पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष की अनंत ऊंचाइयों पर भारत की गौरव गाथा सुनहरे अक्षरों में लिखी है। चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 की सफलता साबित करती है कि देश गंभीर समस्याओं से निपटने और उनका समाधान ढूंढने में सक्षम है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता का भारत के औद्योगिक और प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा।

वहीं, विपक्षी सांसदों ने वैज्ञानिकों के वेतन में वृद्धि की मांग करते हुए अनुसंधान पर कम खर्च को लेकर सरकार की आलोचना की। माकपा के वी सिवादासन ने कहा, सरकारी फंडिंग की कमी के कारण कुछ वर्षों में अंतरिक्ष मिशन लॉन्च की संख्या में कमी आई है। विज्ञान व प्रौद्योगिकी पर भारत का खर्च मात्र 0.7% है, जबकि दक्षिण कोरिया, अमेरिका और चीन जैसे देश कहीं अधिक खर्च करते हैं। निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने कहा आप चांद तक पहुंच सकते हैं, लेकिन आपको जमीन पर लोगों की देखभाल करने की जरूरत है।

यह किसी एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं है

कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने केंद्र सरकार पर 1960 के दशक से अंतरिक्ष क्षेत्र में हासिल किए गए मील के पत्थर को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। रमेश ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को विकास के एक उपकरण के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि मजबूत राष्ट्रवाद के एक उपकरण के रूप में है।

कांग्रेस की वजह से 75 साल लग गए

विदेश मंत्री जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आपने अंतरिक्ष विभाग को गोपनीयता के पर्दे के पीछे छिपाकर रखा है। आम जनता और मीडिया को श्रीहरिकोटा देखने की भी इजाजत नहीं थी। कांग्रेस ने उद्योग की इजाजत नहीं दी। इससे प्रगति रुक ​​गई और इसे वर्तमान स्थिति तक पहुंचने में 75 वर्ष लग गए।

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