
सुपरटेक ट्विन टावर्स जैसी ही गिरा लोगों को ऐसा महसूस हुआ कि अभी भी देश कानून व्यवस्था के हिसाब से चल रहा है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इस पूरे मामले का जिम्मेदार कौन है।इस इमारत गिरने के पीछे उन चार लोगों का श्रेय है जिनके बारें में आपको जरूर जानना चाहिए।
कौन हैं ये सूरमा?
ये चारों एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य हैं। इसमें 79 साल के उदय भान सिंह तेवतिया, 65 साल के रवि बजाज, 74 बर्ष के आयकर अधिकारी एसके शर्मा समेत 59 साल के एमके जैन शामिल थे। आपको बता दें कि दुखद खबर ये है कि जैन की पिछले साल कोरोना के चलते इनकी दर्दनाक मौत हो गई थी। आयकर अधिकारी ने पिछले साल संघ का दामन छोड़ दिया।
कहां से बनाना शुरू हुआ भष्टाचार का ताना बाना?
किस्सा शुरू होता है 2005 से जब से रियल-एस्टेट अग्रणी सुपरटेक 2005 से अपनी जुड़वां टावर योजनाओं में लगातार संशोधन कर रहा था। वर्ष 2005 की योजना में ‘सेयेन’ नाम का एक टावर था, जिसमें एक बगीचे के साथ 14 मंजिलें थीं, जिसे अगले साल फिर एक बार बदलाव किया। मिली जानकारी के हिसाब से 2009 में योजना को फिर से बदल दिया गया था, जिसमें बगीचे और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स को खत्म कर दिया गया और दो टावरों को शामिल किया गया था। इसके बाद ये Builder नहीं मानें एपेक्स और साईन 40 मंजिलों की इमारत बनाने की शुरूआत हुई थी। हालांकि इस योजना को 2012 में नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया गया था लेकिन इसका निर्माण 2009 से चल रहा है।
परियोजना के शुरुआती निर्माण ने बहुत सारे सवालों को जन्म दिया वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्यों ने चल रहे निर्माण के लिए सवाल और स्पष्टीकरण पूछना शुरू कर दिया।बिल्डरों से अपने काले मंसूबों को लोगों से कई दिनों तक छुपा कर रखा लेकिन कहते हैं न छूट की इमारत सच के आगे टिक नहीं पाती है।
आयकर अधिकारी एसके शर्मा ने बताईं बड़ी बातें
शर्मा के मुताबिक उन्होंने एक साल तक मामले को आगे बढ़ाया लेकिन किसी ने उनकी या उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने ये भी कहा कि केस लड़ने के दौरान उनके पास पैसे भी नहीं बचे थे, कानूनी लड़ाई जारी रखने के लिए पैसे की जरूरत थी। मिली जानकारी के अनुसार उर्वन मंत्री और डीएम को एक पत्र भी लिखा लेकिन उस पत्र को हल्के में लिया गया और कोई भी सकारात्मक जबाव नहीं आया। जब सदस्यों ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया तो बिल्डर द्वारा पहले ही 13 मंजिलें बनाई जा चुकी थीं। अदालत जाने के बाद मुख्य मुद्दा धन की व्यवस्था और संग्रह करना था। फिर चारों लोगों ने सारी जिम्मेदारी ली और चंदा लेने के लिए घर-घर जाने लगे।
संघर्ष भरा था रास्ता
ट्रायल के दौरान पूरी मुहिम बिल्कुल बहुत कठिन थी। ये चारों अनारक्षित टिकटों पर भारी भीड़-भाड़ वाली ट्रेनों और सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करते थे। उस दौरान बहुत से लोग उन्हें इस मामले को छोड़ देने के लिए कहा लेकिन चारों लोगों ने अपनी लड़ाई जारी रखी। सभी लोगों को लगता था कि ये मामला एक रियल-एस्टेट बिल्डर के खिलाफ था।ऐसे में जान जाने की डर भी सताते रहते था।
क्या नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी और Super Tech के बिल्डर की थी मिलीभगत?
सदस्यों ने एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सुपरटेक पर भवन कानूनों के अंतर्गत आरोप लगाया है। जिसमें इमारतों के बीच न्यूनतम आवश्यक दूरी में कमी, आग के मानदंड और भवन की योजनाओं में निरंतर परिवर्तन, पार्किंग हटाने आदि शामिल थे।
मिली जानकारी के हिसाब से हालांकि बिल्डर ने एमराल्ड कोर्ट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के एक नकली सदस्य को अदालत में पेश किया ताकि यह साबित किया जा सके कि एमराल्ड कोर्ट के निवासियों ने कभी कोई आपत्ति नहीं जताई। बजाज ने दावा किया कि प्राधिकरण और नोएडा के अधिकारी शुरू में बिल्डर के प्रति पक्षपाती थे। बजाज ने आगे कहा था कि सुपरटेक ने एक गैर-अधिकृत अधिकारी द्वारा ट्विन टावरों की संरचनात्मक सुरक्षा को सत्यापित किया।