Cash for query case: देहाद्राई का दावा- टीएमसी सांसद को कैश के अलावा मिले थे रोलेक्स और फर्नीचर

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तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद महुआ मोइत्रा पर सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई ने संसद में सवाल पूछने के बदले पैसे लेने (कैश फॉर क्वेरी) मामले में नए आरोप लगाए हैं।

देहाद्राई ने मंगलवार (14 नवंबर) को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- संसद में जो सवाल पूछे गए, वो दुबई में बनाए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपशब्द वाले भाषण दिल्ली के कैनिंग लेन में लिखे गए थे।

देहाद्राई ने कहा कि संसद में सवाल पूछने के बदले महुआ ने दो करोड़ कैश के अलावा फर्नीचर और रोलेक्स घड़ी भी ली थीं। उनका लेख था कि फर्नीचर और रोलेक्स को छोड़कर दो करोड़ रुपए भी मिलेंगे जब भूलने की बीमारी खत्म हो जाएगी।

Dehradrai ने TMC सांसद को झूठ बोलने की बीमारी बताई। उनका कहना था कि पैथोलॉजिकल लायर को पता लगाना चाहिए कि संसद में पूछे जाने वाले प्रश्न मिस्ट्री टाइपिस्ट को कैसे भेजे गए।

महुआ ने प्रधानमंत्री मोदी पर देश को विभाजित करने का आरोप लगाया

10 अगस्त को महुआ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ संसद में भाषण दिया था। महुआ ने मणिपुर में हुई हिंसा पर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हमारी बात नहीं सुनेंगे। वह सिर्फ अंतिम दिन आ जाएगा और सबको निराश कर देगा।

भाषण के दौरान महुआ ने शायरी पढ़ी और प्रधानमंत्री मोदी पर देश को विभाजित करने का आरोप लगाया। TMC सांसद ने कहा, “जिस पापी को गुण नहीं गोत्र प्रिय है, वह यहाँ हमें मार डाला है।” नफरत की लड़ाई में क्या हुआ? फल हिंदू बन गए, बकरा मुसलमान बन गया।

पूरा मामला क्या है 

15 अक्टूबर को भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने महुआ पर आरोप लगाया कि महुआ ने बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से दो करोड़ रुपए और महंगे तोहफे संसद में सवाल पूछने के लिए लिए थे। स्पीकर ने मामले को एथिक्स कमेटी को भेजा।

21 अक्टूबर को, निशिकांत ने महुआ पर एक और गंभीर आरोप लगाया। सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में निशिकांत ने कहा कि एक सांसद ने देश की सुरक्षा को कुछ रुपये के लिए बेच दिया। मैंने लोकपाल से इसकी शिकायत की है।

उन्होंने कहा कि दुबई से संसद की ID खोली गई, जबकि उस वक्त वो कथित सांसद भारत में ही थीं। इस नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) पर पूरी भारत सरकार है। देश के प्रधानमंत्री, वित्त विभाग, केंद्रीय एजेंसी यहां हैं। क्या अब भी TMC व विपक्षी दलों को राजनीति करनी है। निर्णय जनता का है। NIC ने यह जानकारी जांच एजेंसी को दे दी है।

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