
हाइलाइट्स :-
- केरल में बुजुर्ग दंपति से 2.4 करोड़ की ठगी.
- 11 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में रखा गया.
- पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया.
Kerala Digital Arrest : केरल के कासरगोड जिले के कान्हागड में एक बुजुर्ग दंपत्ति से 2.4 करोड़ रुपये की साइबर ठगी का मामला सामने आया है. पुलिस के अनुसार, दंपति को 11 दिनों तक तथाकथित डिजिटल अरेस्ट में रखकर यह धोखाधड़ी की गई. यह नया साइबर क्राइम पैटर्न तेजी से फैल रहा है, जिसमें अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर वीडियो कॉल के जरिए डराते हैं और लगातार निगरानी में रखते हुए लोगों से पैसे वसूलते हैं.
ट्राई का अधिकारी बन घटना को दिया अंजाम
पीड़ित दंपत्ति में 69 वर्षीय एक सेवानिवृत्त शिक्षक और उनकी 72 वर्षीय पत्नी शामिल हैं, जो सरकारी सेवा से रिटायर्ड होम्योपैथी चिकित्सक हैं. दोनों अकेले किराए के मकान में रहते हैं. पीड़ित शिक्षक ने बताया कि 10 अगस्त को उनकी पत्नी के मोबाइल पर एक अंतरराष्ट्रीय कॉल आई. कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) का अधिकारी बताया और कहा कि उनकी पत्नी सीबीआई की एक मनी लॉन्ड्रिंग जांच में संदेह के घेरे में हैं.
इसके तुरंत बाद, उन्हें व्हाट्सएप पर एक वीडियो कॉल आई, जिसमें एक व्यक्ति पुलिस की वर्दी में दिखा. कॉल में एक अनुवादक भी जोड़ा गया, जो हिंदी से मलयालम में संवाद का अनुवाद करता रहा. ठगों ने दावा किया कि जेट एयरवेज के पूर्व अध्यक्ष नरेश गोयल के घर छापे के दौरान उनकी पत्नी की बैंक जानकारी और पहचान पत्र बरामद हुए हैं. उन्होंने इस झूठे आरोप को साबित करने के लिए एक एटीएम कार्ड और फर्जी आधार कार्ड भी दिखाया.
लगातार कैमरे के सामने रहने का दिया आदेश
डिजिटल अरेस्ट करने के बाद दंपत्ति को आदेश दिया गया कि वे लगातार मोबाइल कैमरे के सामने बने रहें और हर गतिविधि के लिए वीडियो कॉल पर अनुमति लें, यहां तक कि डॉक्टर के पास जाने के लिए भी. 12 अगस्त को उन्हें बताया गया कि मुंबई की एक सीबीआई अदालत में उनके मामले की वीडियो सुनवाई होगी. उन्हें एक नकली अदालत का दृश्य दिखाया गया, जिसमें एक व्यक्ति को जज और अन्य को वकील के रूप में पेश किया गया.
चार बार में 2.4 करोड़ रूपए किए ट्रांसफर
19 से 21 अगस्त के बीच, दंपति को उनके बैंक खातों का सत्यापन कराने के बहाने चार चरणों में कुल 2.4 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया गया. जब उन्हें संदेह हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
इस घटना के बाद, कासरगोड साइबर पुलिस ने 22 अगस्त को भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(4) और आईटी अधिनियम की धारा 66(डी) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
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